हमारे साहित्य में भँवरे को एक विशेष स्थान हासिल है। वह कलिओं का रसपान करता है और फिर उड़ जाता है। किसी एक पुष्प पर टिकना उसका स्वाभाव नहीं है। वह रंग का काला है अतः मन का भी काला मान लिया जाता है। उसकी प्रकृति चंचल है। बेचारा भँवरा। वो क्या करे बगिया में वह अकेला है और पुष्प ढेर सारे। सभी को विकसित करवाना उसका कर्तव्य है सो वह एक कली , एक पुष्प का होकर नहीं रह सकता । पर क्या करें ये कवि उस की इस मज़बूरी को नहीं समझते और उसे बेवजह खलनायक बना देते हैं।
एक बगीचा ये भी है जहाँ अभी आप हैं। यहाँ भी नाना प्रकार के ब्लॉग रूपी पुष्प खिलते हैं। अलग अलग रंग , रूप, आकार के पुष्प। यहाँ भी कुछ पुष्प दिन में खिलते हैं, कुछ रात में खिलते हैं। कुछ रंग बिरंगे , कुछ रंग हीन; कुछ सुगंध से भरे हैं , कुछ बास हीन और कुछ एक तो दुर्गन्ध भी देते हैं। इन सभी पुष्पों को तलाश रहती है एक अदद भँवरे की जो इन पर आकर इनके रस का पान करे , खुद अपनी तृप्ति करे और अपनी टिपण्णी के द्वारा इनका परागण करें ताकि इन ब्लॉग रूपी पुष्पों से नई सोच के नए नए बीज पैदा होते रहें।
कुछ समय से मैं भी अलग अलग ब्लोग्स पर जाकर उनका रसपान कर रहा हूँ। अपनी टिप्पणियों के द्वारा कोशिश करता हूँ की उनका विकास हो। यहाँ की दुनिया उसकी बनायीं दुनिया का ही विस्तार है। यहाँ भी अनेक चमत्कार होते रहते हैं। यहाँ मैंने एक पुष्प ऐसा भी देखा जिसकी गंध बार बार बदलती रहती है और अपनी इसी क़ाबलियत की वजह से वह अनेकों भंवरों को अपने मोहपाश में बांधे रहता है। यह पुष्प अपनी गंध ही नहीं अपना आकार भी बदलता रहता है। कभी यह गुलाब सा लगता है तो कभी यह कमल सा दिखने लगता है। उफ़ इसके तो दोनों ही रूपों में भंवरों की शामत है।
कुछ ब्लॉग ऐसे हैं जिन पर अनेक भँवरे आकर अपनी टिपण्णी लिख जाते हैं पर कुछ ऐसे भी है जिनके पास एक भी भँवरा नहीं फटकता। वे पुष्प खिलते हैं , मुरझाते हैं, खिलते हैं, मुरझाते है और फिर परागण न होने के कारण एक दिन समूल नष्ट हो जाते हैं। प्यारे भंवरो उन एकांत में खिल रहे पुष्पों पर भी तो कुछ कृपा करो। उन्हें भी तो विकसित होने का मौका दो। जो पुष्प अच्छी तरह से खिल चुके उनका मोह छोड़ कर दूसरों की सुध भी लो।
इतना लिखने के पश्चात मुझे नहीं लगता की अब यह बताया जाय की श्वेत भँवरा कौन है?
अपनी टिप्पणियों के द्वारा कोशिश करता हूँ की उनका विकास हो- बस, यह अभियान जारी रखें..अनेक शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंआपने मेरे इस संदेश को विस्तार दिया है इस पोस्ट के माध्यम से, आभार!! :
हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!
लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.
अनेक शुभकामनाएँ.