शायद वे अपने दोहों की रचना कुछ इस प्रकार से करते:
सामाजिक दोहे
प्रेम ना दिल में उपजे, प्रेम ना मॉल बिकाय।
लड़का लड़की जेहि रुचे , अंग दिखाय ले जाय॥
निंदक नियरे न राखिये, बंटाधार कर जाय।
बिना बात निंदा करे, मन का साहस जाय॥
ऐसी बानी बोलिए हर बात पे गाली होय।
श्रोता का बीपी बढे और अपना आपा खोय।
कबीरा इस संसार में सबसे मिलिए धाय।
न जाने किस रूप में आमिर खान मिल जाय॥
गृहस्थी की चक्की रोक के दिया कबीरा रोय ।
मनमोहन इस महगाई में गुजर बसर ना होय॥
राजनैतिक दोहे
जात ही पूछो नेता की पूछ न लेना ज्ञान।
लोक तंत्र पे रोओगे सबकी असलियत जान ॥
जब तू था तो माया नहीं, अब माया है तू नाय।
मुलायम यह सीट अति साकरी, या में दो न समाय॥
उद्धव बराबर राज नहीं, उद्धव के तुम बाप।
नयी पार्टी बनाय के अपनी माला जाप॥
बिहार जो देखन मैं चला , बिहारी न मिलया कोय।
जो दिल्ली खोजी आपनी सगरे यंही पर रिक्शा ढोयं ॥
हिन्दुओं को उनका सन्देश होता .......
नित्यानंद अरु इच्छाधारी अनुसरे हरी न मिलिए भाय ।
इनसे तो कॉल गर्ल भली , क्या पता समाधी लग जाय ।।
मुस्लिमों को उनका सन्देश होता ......
मुल्ला विमान पर चढ़, दिए टावर दोउ ढ़हाय ।
इनके कर्मन ते तो खुद मुह छिपा लेगा खुदाय ॥
और इस नारी को देख कर तो वो यही कहते:
लम्बी वेणी काट के लाज शर्म सब खोय । ऐसी नारी देख के दिया कबीरा रोय॥
nice words.
जवाब देंहटाएंgood!!!
जवाब देंहटाएंपानी दिवस पर पानी से भिंगाकर आपने पानी उतारा है......छिः छिः ........
जवाब देंहटाएं.......
विश्व जल दिवस..........नंगा नहायेगा क्या...और निचोड़ेगा क्या ?...
लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से..
http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_22.html
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जवाब देंहटाएंआप बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। आप मौलिक दोहों को भी रच सकते हैं। कुछ सामयिक दोहों को रचें ... प्रयास तो करें। सफलता मिलेगी क्योंकि आपके पास पैनी दृष्टि है जो सामाजिक आडम्बरों को तुरत पहचान लेती है.
जवाब देंहटाएंkya khoob likha hai.bahut din baad aisi rachana padhi.
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