मैं चमत्कार वगैरा में विश्वास नहीं रखता और धार्मिक होते हुए भी मंदिरों के ज्यादा चक्कर नहीं काटता । मेरे बड़े भाई साहब मेरे बिलकुल विपरीत हैं। उनकी साईं बाबा में बेहद श्रद्धा है। वे अक्सर शिरडी आते जाते रहते हैं। कई बार उन्होंने मुझे शिरडी चलने के लिए कहा पर मैं किसी न किसी वजह से उनके साथ नहीं जा पाया।
यह बात सन २००८ की सर्दियों की है। भाई साहब दतात्रेय जयंती के अवसर पर शिरडी जा रहे थे। उन्होंने मुझे इस विषय में बताया । उन्हीं दिनों शिरडी में बाबा के किसी भक्त ने बाबा के लिए सोने का सिंहासन बनवाया था और वहां की दीवारों पर भी सोने के पत्र लगवाये थे। यह करोडो रुपयों का दान था। मैं इस बात से बड़ा प्रभावित था अतः मन में एक सोच आयी की चलो बाबा के पुण्य दर्शनों तो होंगे ही और जीवन में पहली बार एक साथ इतना सोना भी देख लेंगे, तो मैं भी शिरडी जाने के लिए तैयार हो ही गया।
मेरे बड़े भाई इस बात से बहुत खुश हुए। रास्ते भर वे मुझे साईं बाबा के चमत्कारों के विषय में बताते रहे। उन्होंने कहा की बाबा के आशीर्वाद से मेरे जीवन में भी कोई न कोई परिवर्तन अवश्य आयेगा। मैं भी मन ही मन बाबा से अपने जीवन में कोई एसा चमत्कार करने की प्रार्थना करने लगा की बस जीवन सफल हो जाये।
शिरडी पहुच कर हमने होटल में एक कमरा किराये पर लिया , अपना सामान रखा और जल्दी से नहा कर बाबा के दर्शन करने निकल पड़े। दतात्रेय जयंती की वजह से मंदिर में गर्दी बहुत थी। ( वहां की लोकल भाषा में भीड़ को गर्दी बोलते हैं) बाबा के दर्शनों के लिए लम्बी लाइन लगी थी। करीब तीन चार घंटों में हमारा नम्बर आया। मन की सारी इच्छाए मैंने बाबा के सामने रख दीं। मैंने बाबा से कहा बाबा कोई चमत्कार कर दो। बस कुछ ऐसा कर दो की लगे की मैं भी कोई बड़ा आदमी हूँ।
दर्शन के पश्चात् जब हम मंदिर से बाहर आये तो मेरे बड़े भाई को तो बड़ी तेज भूख लग रही थी और जैसा की मैं पहले बता ही चूका हूँ की मेरा स्वाभाव मेरे बड़े भाई के बिलकुल विपरीत है, तो स्वाभाव वश मुझे भी जोर की ही लगी थी। चूँकि भाई साहब बार बार शिरडी आते जाते रहते हैं अतः उन्हें मालूम था की पास में ही सड़क पार एक सुलभ शौचालय है। वे मुझे वहां ले गए । जैसा की आमतोर पर सार्वजनिक शौचालयों में होता है यहाँ भी दरवाजों पर कुण्डी नहीं थी पर मैं इसकी परवाह न करके अपने कार्य में लग गया । अपना पेट हलका करके जब मैंने शौचालय का नल खोला तो वहां पानी की एक बूंद भी नहीं थी। मैं बड़ा परेशान हो गया । मैंने दरवाजे से बाहर झाँका तो सामने एक छोटा लड़का था मैंने उससे पानी लाने की प्रार्थना की तो उसने बताया की उस समय वहां पानी कहीं नहीं मिलता । यह बात सुनकर तो मुझे पसीना ही आ गया। इस अवस्था में तो मैं बाहर भी नहीं आ सकता था। मैंने वहां करीब एक घंटे इंतजार किया तब मेरे बड़े भाई मुझे तलाशते हुए आये । पानी की व्यवस्था वो भी नहीं कर पाए। फिर अंत में वो बिजलरी की दो बोतलें खरीद कर लाये और मैं अपनी सामान्य अवस्था में आ पाया ।
यह मेरे जीवन की एक बहुत बड़ी घटना थी। जिस बिजलरी के पानी को एक आम आदमी पीने के लिए नहीं खरीद पता है उससे मैंने क्या धोया । एक मिनट में बाबा ने मेरे जीवन में कितना बड़ा परिवर्तन ला दिया । मुझे लगा की ये भी बाबा के अनेकों चमत्कारों में से एक है अतः आपसे मैंने अपने जीवन का यह अनुभव शेयर किया है। आशा है आप मेरी भावनाओ को समझेंगे और इस चमत्कार की कथा बाबा के अन्य करोडपति भक्तों तक पहुचाएंगे।
यह बात सन २००८ की सर्दियों की है। भाई साहब दतात्रेय जयंती के अवसर पर शिरडी जा रहे थे। उन्होंने मुझे इस विषय में बताया । उन्हीं दिनों शिरडी में बाबा के किसी भक्त ने बाबा के लिए सोने का सिंहासन बनवाया था और वहां की दीवारों पर भी सोने के पत्र लगवाये थे। यह करोडो रुपयों का दान था। मैं इस बात से बड़ा प्रभावित था अतः मन में एक सोच आयी की चलो बाबा के पुण्य दर्शनों तो होंगे ही और जीवन में पहली बार एक साथ इतना सोना भी देख लेंगे, तो मैं भी शिरडी जाने के लिए तैयार हो ही गया।
मेरे बड़े भाई इस बात से बहुत खुश हुए। रास्ते भर वे मुझे साईं बाबा के चमत्कारों के विषय में बताते रहे। उन्होंने कहा की बाबा के आशीर्वाद से मेरे जीवन में भी कोई न कोई परिवर्तन अवश्य आयेगा। मैं भी मन ही मन बाबा से अपने जीवन में कोई एसा चमत्कार करने की प्रार्थना करने लगा की बस जीवन सफल हो जाये।
शिरडी पहुच कर हमने होटल में एक कमरा किराये पर लिया , अपना सामान रखा और जल्दी से नहा कर बाबा के दर्शन करने निकल पड़े। दतात्रेय जयंती की वजह से मंदिर में गर्दी बहुत थी। ( वहां की लोकल भाषा में भीड़ को गर्दी बोलते हैं) बाबा के दर्शनों के लिए लम्बी लाइन लगी थी। करीब तीन चार घंटों में हमारा नम्बर आया। मन की सारी इच्छाए मैंने बाबा के सामने रख दीं। मैंने बाबा से कहा बाबा कोई चमत्कार कर दो। बस कुछ ऐसा कर दो की लगे की मैं भी कोई बड़ा आदमी हूँ।
दर्शन के पश्चात् जब हम मंदिर से बाहर आये तो मेरे बड़े भाई को तो बड़ी तेज भूख लग रही थी और जैसा की मैं पहले बता ही चूका हूँ की मेरा स्वाभाव मेरे बड़े भाई के बिलकुल विपरीत है, तो स्वाभाव वश मुझे भी जोर की ही लगी थी। चूँकि भाई साहब बार बार शिरडी आते जाते रहते हैं अतः उन्हें मालूम था की पास में ही सड़क पार एक सुलभ शौचालय है। वे मुझे वहां ले गए । जैसा की आमतोर पर सार्वजनिक शौचालयों में होता है यहाँ भी दरवाजों पर कुण्डी नहीं थी पर मैं इसकी परवाह न करके अपने कार्य में लग गया । अपना पेट हलका करके जब मैंने शौचालय का नल खोला तो वहां पानी की एक बूंद भी नहीं थी। मैं बड़ा परेशान हो गया । मैंने दरवाजे से बाहर झाँका तो सामने एक छोटा लड़का था मैंने उससे पानी लाने की प्रार्थना की तो उसने बताया की उस समय वहां पानी कहीं नहीं मिलता । यह बात सुनकर तो मुझे पसीना ही आ गया। इस अवस्था में तो मैं बाहर भी नहीं आ सकता था। मैंने वहां करीब एक घंटे इंतजार किया तब मेरे बड़े भाई मुझे तलाशते हुए आये । पानी की व्यवस्था वो भी नहीं कर पाए। फिर अंत में वो बिजलरी की दो बोतलें खरीद कर लाये और मैं अपनी सामान्य अवस्था में आ पाया ।
यह मेरे जीवन की एक बहुत बड़ी घटना थी। जिस बिजलरी के पानी को एक आम आदमी पीने के लिए नहीं खरीद पता है उससे मैंने क्या धोया । एक मिनट में बाबा ने मेरे जीवन में कितना बड़ा परिवर्तन ला दिया । मुझे लगा की ये भी बाबा के अनेकों चमत्कारों में से एक है अतः आपसे मैंने अपने जीवन का यह अनुभव शेयर किया है। आशा है आप मेरी भावनाओ को समझेंगे और इस चमत्कार की कथा बाबा के अन्य करोडपति भक्तों तक पहुचाएंगे।
जय हो!
जवाब देंहटाएंजय हो!
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंतुरंत आपकी प्रार्थना सुन ली गई और बन गये ना बडे आदमी :)
प्रणाम
kabhi bhee kisi baat ko halka nahi lena chahiye ...aapke sochne ka apna tareeka hai.. bade aadmi banaya pr sataaya 1 ghanta, wo saja thww aapki. aur iccha bislari water bottle .....toilet me....hahahaha....
जवाब देंहटाएंवाह
हटाएंइस बात को पढ़ कर मुझे भी एक वाक्या याद आ गया
हटाएंकरीब 5 साल पहले मैंने जॉब शुरू की तब हमारा पैनकार्ड नहीं बना होने के कारन सेलरी होल्ड पर थी मै घर से कोई मदद नहीं लेना चाहता था मैंने पैनकार्ड के लिए अप्लाई किया पर पैनकार्ड पते पर आकर वापस हो गया मै दुखी हुआ मैंने सहायक नंबर पर पता किया तो उन्होंने बताया कि आपका पैनकार्ड recieve नहीं करने की वज़ह से वापस मुम्बई आ गया है मेरी सेलरी अटकी हुई थी मै परेशान था फिर पैनकार्ड कस्टमर केयर ने बताया आपका पैनकार्ड वापस आ जायेगा कुछ दिनों में फिर मेने इंतज़ार किया एक यो जेब में उस समय कुछ भी नहीं था रस्ते में साईबाबा का मंदिर था पर प्रसाद चढ़ा ने के लिए पैसे नहीं थे मै मंदिर गया और कुछ समय बैठा और बाबा के भजन सुनता रहा मेरे आँखों में आंसू आये और बाबा से कहा मै अभी पोस्ट ऑफिस जा रहा हूँ बाबा मेरी आप से प्रार्थना है कि मेरा पैनकार्ड वहां जाते ही मिल जाये क्योंकि पोस्टमैन को मेरे घर पर आने में दिक्कत होती यही मैंने उसे बता भी दिया था कि मेरे पैनकार्ड का ध्यान रखे मंदिर बैठने के बाद मै पोस्टऑफिस गया आप मानेगे नहीं मै पोस्ट आने वाली खिड़की पर खड़ा था की बैठी हुई madum जो पोस्ट चेक कर रही थी वो बोली इस लिफाफे में क्या है जो मशीन में आवाज़ आ रही है तभी पोस्टमैन वहां गया और लिफाफे पर मेरे नाम को देखकर बोला आप इतने परेशां थे पहला लिफाफा आपका ही आ गया लो भैया आप पकड़ो इसमें पैनकार्ड है जो nsdl से आया है मुझे आश्चर्य हो रहा था कि पहली पोस्ट मेरी आई मै मंदिर गया बाद में सैलेरी ले कर मन्दिर मे प्रसाद चढ़ा या
जय साई बाबा की
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हटाएंसच्चे मन से उसे याद करो वो ज़रूर तुम्हारी सुनेगा ।
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