जी हाँ , मैं दीप पाण्डेय, पुत्र स्वर्गीय श्री अम्बा दत्त पाण्डेय, मूल निवासी पाण्डेय कोटा , रानीखेत वर्तमान पता मंडावली दिल्ली, शपथ लेकर यह घोषणा करता हूँ की मैं जल्लाद का पेशा अपनाने को तैयार हूँ।
आज सुबह दैनिक जागरण में खबर थी की कसाब को फांसी की सजा तो सुनायी जा चुकी है पर उसे फांसी देने के लिए देश में कोई जल्लाद नहीं हैं। सारेके सारे जल्लाद या तो अल्लाह को प्यारे हो गए हैं या फिर दुसरे पेशों को अपना चुके हैं। अब अगर ऐसा है तो मैं, जो की कुमाऊ की ऊँ.....ची धोती वाले ब्राह्मणों के परिवार से ताल्लुक रखता हूँ अपनी धोती उतार कर जल्लाद बनने को तैयार हूँ।
मेरे अन्दर जल्लाद बनाने के सारे गुण मौजूद हैं। मैं बचपन से ही बहुत कठोर ह्रदय रहा हूँ। छुटपन में जब कांच वाले इंजेक्शन हर छोटी छोटी बीमारी में डाक्टर लोग हमारे कोमल शरीरों में घोप दिया करते थे तो मैं रोता नहीं था । तब मुझे पहली बार पता चला की मेरा दिल मजबूत है। स्कुल में अनेक बार जब शरीर से मजबूत लेकिन दिमाग से कमजोर छात्र जब नक़ल करवाने के लिए धमकाते थे और फिर गिडगिडाते थे तब भी मेरा दिल नहीं पसीजता था। ऑफिस में साथी महिलाकर्मी कभी कभी अपना कार्य मुझे चेपती हैं और मैं नहीं करता तो मुझ पर दिल में कोमल भावनाए ना रखने का आरोप लगता है। पत्नी को शादी के १० वर्षों में कभी भी एक लाल गुलाब नहीं दिया अतः वहां से भी कठोर हृदयी होने का तगमा मिलता रहता है।
तो भैया अपने इन सभी दुर्गुणों के साथ मैं अपने जीवन में एक तो पुण्य का कार्य कर जाना चाहता हूँ।
मुझे बना दो जल्लाद मैं कसाब को फांसी देना चाहता हूँ।
यह लेख लिख तो मैंने कल ही दिया था पर पोस्ट नहीं किया । मैं सोच रहा था की कहीं कोई दूसरा व्यक्ति जल्लाद का पेशा अपनाने को तैयार ना हो जाये और मैं दिल से नहीं चाहता की इस पेशे को अपनाने के लिए भी कोई कॉम्पिटिशन हो । अतः कल से लेकर आज तक इन्तजार किया है और अपना दावा ठोक दिया।
Aameen..! Aur kya kahun?Kasab ko faansi chadha do phir chahe apna pesha badal do!
जवाब देंहटाएंis post ke liy mai bhi apply kar chuka hoon
जवाब देंहटाएंha ha ha ha ...
जवाब देंहटाएंThanks for such a nice post :)
बहुत ही उम्दा सोच और अभिव्यक्ति / मुझे भी अगर इन भ्रष्ट नेताओं और अधिकारीयों को आम जनता के बिच फांसी देने को मिले तो मैं भी जल्लाद बनने को तैयार हूँ /
जवाब देंहटाएंकल मेरे ऑफिस में यह चर्चा चली थी और सभी जल्लाद बनने को तैयार थे। किसी ने कहा उसे फाँसी देने की क्या जरूरत? ऐसे ही गले में पट्टा बाँध दौड़ा दो, पब्लिक झापड झापड़ मार डालेगी। झापड़ मारने के चक्कर में कई तो फोकट में झापड़ खा जाएँगे।
जवाब देंहटाएंaadrniy aap jllaad naa bne hmaare desh kaa qaanoon aese desh drohiyon ko szaa dene men skshm he or fir akhbaar ki khbr jo rupye or vigyaapn dekr kisi bhi trh chapvaai jaa skti he us pr hm bhrosaa kyon kren hm to voh surkshk bne ke deh ki simaa pr aankh uthaane vaale ki aankhen fod den , desh men surkshaa choks or srkaari tntr ko dhokaa dekr aane vaale ghdaar qsaabon ko sima men aane ke pehle hi maar den or jo surkshaa choks ger zimmedaari kr inhe desh men ghusaate hen unhen bhi jntaa ke saamne benqaab kren aek sch yeh he ki aatnkvaadi desh men aate nhin unhen suvidhaa dekr yaa surkshaa men laa prvaahi brt kr hmaare hi log khun ki holi khelne ki daavt dete hen ise hm agr sudhaarenge to jllaad bnne ki hmen zroort nhin hm rkshk bnen or bhkshkon ko sre aam nngaa kren tb thik rhegaa is kaam men kyaa aap meri mdd kroge. akhtar khan akela kota rajasthan
जवाब देंहटाएंपाण्डेय जी, तभी मैं बोलू कि हमारी सोच में इतनी समानता क्यों है ! खुसी हुई जानकार कि आप भी उत्तराखंडी है ( भूलबश अगर मेरे इन शब्दों में क्षेत्रवाद की बू आ रही हो तो क्षमा ! कल कुछ ब्लॉग पढ़े थे और समाचारों में भी पढ़ा था कि देश में जल्लाद की कमी हो गई है तो ये चार लाइने कविता की बनाई थी , यहाँ टिपण्णी में आपके लिए पोस्ट कर रहा हूँ ;
जवाब देंहटाएंदेश को जलाने वालों,
मैं सोचता था कि
क्यों न मैं ही प्रहलाद बन जाऊ !
मगर देश में
जल्लादों की भी कमी हो गई,
अब सोचता हूँ कि
क्यों न मैं भी जल्लाद बन जाऊ !!
मगर शर्त यह होगी कि ,
मैं किसी कायदे-क़ानून से नहीं डरूंगा !
किसे लटकाना है, मैं निर्धारित करूंगा !!
ऐ काश, मैं यह कर पाता !
फिर तो मेरा काम बहुत बढ जाता !!
जिसे मेरा मन करता फंदे पर लटकाता !
शानदार पोस्ट...
जवाब देंहटाएंहा हा हा...
अगर हेल्पर की जरुरत नहीं भी हो तो भी मै तैयार हूँ, पर अकेला कसाब ही नहीं सारों का हसाब एक ही साथ होना चहिये. बाकि बचे ना कोय.
जवाब देंहटाएंफिर उसके बाद जेल भरो आन्दोलन भी होना चहिये हम सभी का क्योंकि देश-द्रोह में हम किस प्रकार की कमी रख छोड़े है. टैक्स चोरी, बिजली पानी की बर्बादी, क्या क्या नहीं करते हम ????????
बहुत बढ़िया लिखा बंधू !! आपकी भावनाओ को सलाम !!
जवाब देंहटाएंवन्दे मातरम !!
शानदार बयान ।
जवाब देंहटाएंभाई अमित जी के विचारों और साथ को पुष्ट करना चाहता हूं ।
जवाब देंहटाएंगोदियाल साहब की बातों से पूर्ण सहमत हूं । इन कमीने आतंकवादियों ही नहीं देश के ठेकेदारों को भी साथ ही लटकाना चाहिये, नहीं नहीं गिरिजेश राव जी के विचारों को लागू करना चाहिये । गले में पट्टा डालकर जनता के हांथों थप्पड खाकर मरने के लिये छोड देना चाहिये ।।
दीप, बेस्ट ऑफ़ लक। वैसे आपकी जानकारी के लिये बता दूं कि कल ही इसी पोस्ट के लिये लुधियाना में एक भाई साहब ने अपना आवेदन पत्र कलैक्ट्रेट में जमा कर दिया है।
जवाब देंहटाएंये नौकरी मिलनी नहीं है, और जो मिली हुई है न वो भी खो बैठोगे।
हमारे देश के कानून के हाथ बहुत लंबे हैं।
jaankar khushee huee ki aapkee dhotee bhi unchee hai....
जवाब देंहटाएंबहुत ही विचारोत्तेजक लेख........
जवाब देंहटाएंऎसे पावन पुनीत कार्य के लिए तो पूरा हिन्दुस्तान तैयार बैठा है...बहुत तगडा कम्पीटीशन मिलने वाला है :-)
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जवाब देंहटाएंhttp://my2010ideas.blogspot.com/2010/05/blog-post.html
हमें गर्व है आप पर... शाबास...
जवाब देंहटाएंये कोई तेम्ररी जॉब नहीं. ताउम्र जल्लाद बनकर रहना होता है.
जवाब देंहटाएंआपने चाहा और आपको जल्लाद बना दिया जाए. — ऐसा नहीं होता सरकारी नौकरियों में.
देश में ना जाने कितने ही विभाग हैं जहाँ रिक्तियां खाली पड़ी हैं. वो तक तो भारी नहीं जा रहीं . तो सोचो, एकमात्र “जल्लाद” वाली रिक्ति आपके आवेदन पर भर दी जायेगी.
वैसे भी ये पोस्ट रिजर्व कोटे की है “कसाई” जाति के ही इसमें अप्लाई कर सकते हैं. और सारे कसाई जाती के लोग आजकल बिखर चुके हैं
— उनमे से कुछ धर्म क्षेत्र में दाखिल होकर संत के छोले में चोरी छिपे चोलियों का व्यापार कर रहे हैं.
— कुछ राजनीति के ओपन कॉम्पटीशन में भाग लेकर MP-MLA-COUNSLAR बनने की साधना कर रहे है.
— ज्यादातर आतंकी संगठनों में रोजगार के अच्छे अवसर पाकर चले गए हैं.
— बाकी का पता कुछ आप भी लगाओ.
truti sudhaar.
जवाब देंहटाएंये कोई "टेम्परेरी जॉब" नहीं. ताउम्र जल्लाद बनकर रहना होता है.
Kis kis ko latkaaiyega mitr ... ek bar jallad bane toh phir laut na paaoge .! haan blog likhte rahna !
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