रविवार, 1 मई 2011

वो पगली नहीं है !


वैसे तो मैं आस पास के लोगों की घरेलु बातों पर ज्यादा मगज़मारी  नहीं करता  पर इस खबर पर से मेरा ध्यान हट न सका. मेरी पत्नी को पड़ोस के बब्बल  की  मम्मी जी ने बताया  की हमारे  दुसरे पडोसी चेला राम की बीबी पगली होने का सिर्फ  ढोंग करती है पर  असल में वो पागल नहीं है

"अच्छा !  उन्हें कैसे पता चला की वो पागल नहीं है."


"अरे वो बब्बल की मम्मी से कह रही थी की अगर उसकी एक बिटिया और हो जाये तो उसका परिवार भी पूरा हो जायेगा. एक बेटा और एक बेटी.  देखो उसको इतनी अक्ल  है. पागल होने का तो वो सिर्फ ढोंग ही करती है."


मेरी नज़रों के सामने चेला राम की इस दूसरी पत्नी का पूरा इतिहास घूम गया.
पहले पति द्वारा त्याग दी गयी क्योंकि वो पगली थी.
विधवा माँ और भाइयों ने ६२ वर्ष के नाती पोतों वाले बूढ़े से ब्याह दिया क्यूंकि वो पगली थी.
सौतेली बेटे बेटियों ने हमेशा नौकरानी समझ कर व्यवहार किया क्योंकि वो  पगली थी
सौतेली पुत्रवधू ने इसकी नसबंदी करवाने की  पूरी कोशिश की के कहीं इसके कोई बच्चा न हो जाये और ये चुपचाप सहती रही क्योंकि ये पगली थी.


अब आज अचानक बब्बल की मम्मी कहती हैं की वो पगली नहीं बहुत सायानी है.


मुझे लोगों का ऐसा व्यवहार कतई  समझ नहीं आता. किसी भी आदमी के वर्तमान के एक छोटे से कार्य से उसके पुरे व्यक्तित्व का निर्धारण कर देते हैं. उसका पूरा इतिहास जानते बुझाते  हुए भी नकार देते हैं.  कोई साला सारी जिंदगी अपनी मुर्खता और पागलपन को व्यक्त करता रहा और अचानक गलती से ही एक सही काम क्या कर दिया पिछला सब ख़त्म.

क्या है यार ये सब........

14 टिप्‍पणियां:

  1. किसके पक्ष मं लिख रहे हो? समझ ही नहीं आया। हमें क्‍यों पागल बना दिया? हा हा हा हा।

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  2. हम सब कौन हैं ...?? कोई पागल नहीं है :-)

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  3. @ सारी जिंदगी अपनी मुर्खता और पागलपन को व्यक्त करता रहा और अचानक गलती से ही एक सही काम क्या कर दिया पिछला सब ख़त्म.

    ये दुनिया ऊटपटांगा कहीं ...

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  4. एक बार एक पागल खाने के डॉक्टर की गाडी का एक पहिया पंक्चर होगया ऍन पागलखाने के सामने . पहिया बदलते समय पता नहीं कैसे पहिये के चारो पेंच खो गए . अब क्या किया जाये ?? कैसे पहिया फिट किया जाए डॉक्टर साहिब परेशान , मिस्त्री परेशान .
    एक पागल ने डॉक्टर साहिब को धुप में खड़े देखा तो आगया . डॉक्टर साहिब से कहने लगा में मद्दत्त कर दूँ ?? मिस्त्री भड़क गया बोला तू क्या कर सकता हैं पागल कहीं का .
    पागल ने रिंच उठाया और बाकी तीन पहियों मै से एक एक पेंच खोल कर चौथे पहिये में ३ पेंच लगा दिये

    डॉक्टर साहिब गाडी घर तक ले जा सके
    पागल की परिभाषा क्या हैं

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  5. कहीं न कहीं कोई दर्द है इस घटना (कहानी) में ...... पूर्णरुपें उबर नहीं पाया...

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  6. दीपक कॉलिंग दीपक बाबा.



    सर जी मेरे लिए यही ब्लॉग्गिंग यही है. मन में जो कुछ है बाट लो. कह डालो. आप जिस बात को खुद न समझ पा रहे हों तो लोगों के समक्ष प्रस्तुत कर दें. कही तो कुछ सामने आयेगा. बेशक ये साहित्य रचना न हो. अपनी बात कहने का एक जरिया तो है ही.

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  7. बहुत मार्मिक ..यह हमारा पोर संसार ऐसे काले अध्यायों से भरा है -समाज के ये चरित्र बस महज जिए जाने की ललक पाले मौत से बदतर जिन्दगी जीते हैं ! (आखिर मरना कौन चाहता है ,फिर भी कुछ लोग आत्महत्या भी कर ही लेते हैं और अमानवीय स्थितियों से मुक्त हो लेते हैं :)
    मत उघारिये समाज का यह चेहरा हम देख नहीं पायेगें !

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  8. ऐसे उद्धरण अनेक मिलने कि सम्भावना है. It's just a matter of convenience.

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  9. धीरज रखें, जो हुआ सो हुआ अब राह सुझाने का प्रयास करें.

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  10. भैये, जब और जिसे उस स्त्री को पगली बताने में फ़ायदा है\था तब तक वो पगली थी और जब और जिसे उसे सयानी बताने में फ़ायदा है उस समय सयानी है।
    अपनी राय में पागल कोई नहीं होता, दुनियादारी से आगे निकल गया या पिछड़ गया, वो पागल कहला जाता है।

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  11. स्वार्थ के लिये लोग दूसरों को पागल कहते आये है, बनाते आये है।
    यहां तक कि पागल शब्द को ही अपनी इच्छा अनुसार उपयोग करते है।

    'यह तो पागल है इसके मुंह मत लग।'
    'वह तो पागल है दिवाना है,प्यार करता है।'
    'मैं तो काम के पिछे पागल हूँ।'
    'जब पागल की तरह रत रहते है तो सृजन होता है।'
    'मैं नहीं, दिल तो पागल है।'
    'यह क्या मैं पागलों समान लिखे ही जा रहा हूँ।'

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  12. निष्कर्ष की त्वरा अक्सर सत्य का बैंड बजा देती है ! उसे सारे सन्दर्भों में देखा जाना चाहिए !

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