कुछ पाच छः दिनों पहले हमने ध्यान दिया की शाम को दोस्तों के साथ खेल कर लौटने पर बेटे की आँखों का सफ़ेद हिस्सा लाल हो जा हो जाता है. मैंने बालक को अपने जान पहचान के चिकित्सक डाक्टर जोशी को दिखाया जिनकी हमारी मंडावली में बहुत अच्छी प्रक्टिस चल रही है. डाक्टर साहब ने एक आई ड्रॉप लिख दी और बताया की आँखों ये लाली गरमी और धुल धक्कड़ में खेलने के कारण हो रही है, जल्दी आराम आ जायेगा, चिंतित न हों. दो तीन दिन आंख में दावा डालने के पश्चात् आंख की लाली चली गयी पर कल शाम को जब बिटुवा खेल कर वापस आए तो उनकी आँखों के लाल डोरे फिर नज़र आ रहे थे. मन में थोड़ी शंका सी हुई तो निश्चय किया की इस बार किसी नेत्र विशेषज्ञ को ही दिखाया जाय.
मुझे अपने घर के आस पास प्राइवेट प्रक्टिस कर रहा कोई भी नेत्र विशेषज्ञ अभी तक दिखाई नहीं दिया है. सरकारी अस्पताल में मेरा जानें का मन नहीं करता क्योंकि वहां जाने के बाद, तमाम जानपहचान के बावजूद, मेरा सारा दिन ख़राब हो जाता है. इसलिए मैं अपने बेटे को मेरे घर के पास के एक तारावती चेरिटेबल मेडिकल सेंटर में ले गया. मैंने बच्चे का ओ पी डी कार्ड बनवाया जिसमे सिर्फ दस रुपये लगे. मुझे बड़ी ख़ुशी हुई की मात्र दस रुपये में एक नेत्र विशेषज्ञ की सेवाएं मिल जाएँगी. मन ही मन मैं तारावती चरितेबल ट्रस्ट वालों को धन्यवाद करने लगा. यहाँ पर डाक्टर अर्चना परवानी नेत्र विशेषज्ञ के रूप में कार्य करती हैं. उनकी सहायक ने कुछ दो तीन मिनट बाद ही बच्चे का नाम पुकारा तो मैं बड़ी ख़ुशी से बच्चे को अन्दर ले गया. यहाँ मुझे पहला झटका लगा जब डाक्टर साहिबा की एक सहायिका ने बच्चे की नेत्र ज्योति की जाँच के लिए बच्चे से चार्ट पढवाना शुरू कर दिया. मैंने उन्हें बताया की बच्चे की नेत्र ज्योति ठीक है बस इसकी आंख में लाली है जिसकी जाँच के लिए मैं बच्चे को लाया हूँ. मेरी इस हिमाकत पर उन्होंने मुझे मुह पर उंगली रख कर चुप रहने का इशारा किया और कार्ड पर बच्चे का विजन सिक्स बाय सिक्स लिख कर मुझसे काउंटर पर पचास रुपये जमा करवाने के लिए कहा. बताया गया की आंख की जाँच होगी.
हमेशा की तरह से मुझे पहली बार में ही बात कुछ समझ में नहीं आई. दुबारा पूछने पर पता चला की ये पैसे आंख की पुतली की जाँच के लिए जमा करवाने हैं. आंख में दवाई डाली जाएगी उसके बाद आंख की पुतली की जाँच होंगी. पूरी प्रक्रिया में डेढ़ दो घंटे लगेंगे. मेरे साथ आए सभी दुसरे मरीजों को भी यही सारी बात दोहराई गयी और पैसे जमा करवाने के लिए कहा गया. अब चूँकि मैं अपनी नौकरी के शुरुवाती दौर में जी टी बी हॉस्पिटल में कार्य कर चूका हूँ और पचासों मरीजों को नेत्र विभाग में दिखाया है अतः मुझे मालूम था की आंख की हर छोटी मोटी तकलीफ के लिए dilation करवाने को नहीं कहा जाता. मैंने जब डाक्टर साहिबा से बात करनी चाही तो मुझे जवाब मिला की हमारे चेरिटेबल ट्रस्ट का यही तरीका है आप अपना मरीज दिखाना चाहते हो तो जैसा कहा जा रहा है वैसा करो वर्ना मरीज को कहीं और ले जाओ.
लो जी गयी भैस फिर से पानी में. थोड़ी देर पहले मैं जिन तारावती ट्रस्ट वालों को मन ही मन धन्यवाद दे रहा था अब उनकी असलियत जान के दुखी हो रहा था.ये लोग गरीब आदमी की जेब में चोरी छुपे डाका डाल रहे हैं. एक धर्मार्थ संस्था लोगों को ठग रही है. चेरिटेबल ट्रस्ट के नाम पर तारावती संस्था वाले सरकर से जाने क्या क्या छुट लेते होंगे पर असलियत में आम लोगों को दूसरों की तरह ही चोरी छिपे लुट रहे हैं. घर आकर सबसे पहले मैंने डाक्टर साहिबा के खिलाफ एक शिकायती पत्र दिल्ली मेडिकल कौंसिल को भेजा. अब सोचता हूँ की कल एक पत्र तारावती चेरिटेबल ट्रस्ट वालों को भी लिख ही दूँ. हो सकता है की डाक्टर साहिबा अपने कर्म को आसानी से सही साबित कर दें पर अगर मेरी इस लेटर बाज़ी से इन बेईमान लुटेरों के दिल में खोफ का एक अंश भी पैदा हो पाया तो मैं समझूंगा मेरा प्रयास सफल रहा.
बिलकुल यह तो आप जरुर करें , हमारी शुभकामनयें इस मुहीम में आपके साथ है ! वैसे अब हमारे भतीजे राम कैसे है ?
जवाब देंहटाएंबेटी कीआंख अब कैसी है ? उसकी ठीक से जांच करवाईये -आँख की कई बीमारियाँ हैं ...
जवाब देंहटाएंAapne is vishay me sambandhit logon ko zaroor khat likhna chahiye.
जवाब देंहटाएंAb bete kee aankh kaisee hai?
इस सारे मामले को बयां करते वक्त ये बताना रह गया था की डाक्टर साहिबा द्वारा ठुकराए जाने के बाद मैंने तुरंत सरकारी अस्पताल की ही शरण ली थी जहाँ पर नेत्र विभाग में उस वक्त उपलब्ध सीनियर रेसिडेंट डॉक्टर ने बेटे के आँखों की लाली को गर्मियों में अक्सर हो जाने वाली अलेर्जी बताया और दो वक्त आंख में दवाई डालने के साथ साथ आँखों को ठन्डे पानी से धोने और एक दो दिन बच्चे को खेलने न जाने की हिदायत दी है. वैसे भी सुबह से ही आँखों की लाली बहुत हलकी थी. जो कुछ भी था वो कल श्याम को उसके खेल से लौटने के वक्त ही था. डाक्टर के पास तो मैं सिर्फ अपने मन के वहम को दूर करने के लिए चला गया था. बच्चों की सेहत के मामले में कुछ ज्यादा ही सतर्क रहने का इल्जाम मुझ पर बहुत ज्यादा लगता रहता है :-))
जवाब देंहटाएंplease do it.. these kind of doctors are a menace
जवाब देंहटाएंचलिए यह जान राहत हुयी कि अब कार्तिक को पहले से आराम है !
जवाब देंहटाएंसही है.. इसका प्रतिकार होना ही चाहिये ।
जवाब देंहटाएंआंखों का ध्यान रखें, चैरिटी अक्सर कीमती हुआ करती है.
जवाब देंहटाएंउस ट्रस्ट के खिलाफ भी पत्र लिखना चाहिए क्योंकि ऐसे ही ये लोग दूसरे सेवाभावी ट्रस्टों को बदनाम करते हैं। इसमें उस डाक्टर की गलती के अतिरिक्त उस ट्रस्ट के निर्देश भी लूटने के अधिक लग रहे हैं।
जवाब देंहटाएंI hope your son gets well soon
जवाब देंहटाएंमित्र,
जवाब देंहटाएंआपके लाल की आँखें कभी लाल न हों...
बालक जब खेल में मस्त होते हैं तब वे अपनी शारीरिक थकान से और नींद से विमुखता दिखाने लगते हैं इस कारण भी बालकों के कोमल अंगों पर इसका बुरा असर पड़ता है. उसपर उसके आराम के लिये थोड़ा सख्ती करना जरूरी है.
यदि आप उस ट्रस्ट द्वारा की जा रही मनमानियों के खिलाप कुछ कर सकते तो अवश्य कीजिये , आपके इस फैसले से कईयों का भला हो सकता है ,और कईयों के लिए आपका यह फैसला एक चेतावनी साबित होगी , हो सकता है कई और भी ऐसे लोग आपके इस मुहीम में शामिल हो जाएँ जो ट्रस्ट द्वारा पीड़ित और शोषित हैं ,
जवाब देंहटाएंशुभकानाएं
जो भी हो यह भी सच है कि दवाईया अधिक बनेगी और बिकेंगी, ट्र्स्ट की आमदनी बड़ेगी,मनी सर्कुलेशन बढेगा तो जीडीपी में इससे इज़ाफा होगा।
जवाब देंहटाएंजीडीपी बढेगी तो और अधिक विदेशी निवेश आयेगा, विकास की गति और तेज होगी। इस गति से प्रगति करके यह देश 2050 तक विश्वशक्ति बन जायेगा।
आप पर देश के विकास में बाधा डालने का इलज़ाम लगाया जाता है।
दान संचालित संस्थाओं की अनियमितता उजागर होनी ही चाहिए।
जवाब देंहटाएंऐसे ही लोगों की वजह से दूसरे सेवाभावी ट्रस्टों की बदनामी होती है, आपको जरुर उस ट्रस्ट को भी पत्र लिखना चाहिए, यदि आप इस तरह अपने प्रयास में सफल होंगें, तो इससे न जाने कितने ही हैरान-परेशां लोगों को राहत मिलेगी ...
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति के लिए आभार
बच्चे की आँख की जांच के सिलसिले में Dilation जरूरी था या नहीं यह तो विशेषज्ञं ही बता सकते हैं | लेकिन यदि आप को कुछ गलत लगता है और आप ने संघर्ष का रास्ता अपनाया है तो वह सराहनीय है |
जवाब देंहटाएंअपवाद छोड़ दें तो पायेंगे कि हर चिकित्सक ने ट्रस्ट बना रखा है. क्यों. आयकर से मुक्ति हेतु. शिकायत से कुछ हुआ है आजतक.
जवाब देंहटाएंआपका ब्लॉग पसंद आया....
जवाब देंहटाएंकभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
hi friend/sir
जवाब देंहटाएंmujhe aapki yeh site achhi lagi
aapse ek request hai pls aap mujhe bataye ke mai apni site "shayari4all.blogspot.com" ki developing kaise karu.......
thanks....
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