बुधवार, 21 अप्रैल 2010

सरकारी नौकरी में सफलता के सात नियम.

एक बार मैंने शायद नवभारत टाइम्स में सरकारी नौकरी में सफलता के सात नियम पढ़े थे। मैं एक सरकारी नौकर हूँ और और अपने सरकारी भाइयों की मानसिकता से अच्छी तरह से परिचित हूँ। हममे से अधिकांश लोग ये समझते हैं की सरकारी नौकरी में वो सफल है जो कुछ काम किये बिना ही तनख्वाह पाता है। इस वजह से ये नियम मुझे हमेश याद रहे और मैं हमेशा ही ये कोशिश करता रहा की कम से कम एक आद नियम को ही अपनी जिंदगी में उतर लू तो शायद मेरा भी कार्यभार कुछ कम हो जाये। चलिए मेरा जो होना है वो होगा पर मैं दूसरों का तो अपने इस अमूल्य ज्ञान से कुछ भला कर दूँ।

मैं आपको ये सातों सुनहरे नियम उदहारण के साथ बताता हूँ। आशा हैं की कुछ अनभिज्ञ सरकारी कर्मचारी इससे लाभ उठाएंगे।

१ बने रहो लुल सैलरी पाओ फुल।
यह पहला नियम है। जब भी आपकी किसी नए विभाग में नियुक्ति हो तो आप एकदम लुल बन जाएँ । लुल मतलब लूले लंगड़े, बीमार, थके हुए एकदम निरीह। जब भी आपका ऑफिसर दिखाई दे तो तुरंत कराहना शुरू कर दे। नयी नयी बीमारियाँ ढूंढ़ लायें । गले में पट्टा बांध लें। बस ऑफिसर को लगाना चाहिए की आपसे ज्यादा बीमार तो कोई और हो ही नहीं सकता। अगर एसा हो गया तो समझ ले आपका मिशन पूरा हुआ। आप आराम से अपनी टेबल पर बैठ कर DA कितना मिलेगा इस पर विचार करें और आपका काम कोई और कर रहा होगा।


२ बने रहो पगला तो काम करेगा अगला।
यह दूसरा नियम है। अब मान लें की आपकी पहली युक्ति काम नहीं आई तो इस नियम का पालन करें। ऑफिसर आपको जो भी कार्य दे उसे ठीक से ना करें । छोटी छोटी बात उससे पूछने जाये। कम अक्ल बने रहने का नाटक करें। आपका प्रदशन जितना अच्छा होगा उतनी ही जल्दी आपको काम से छुटकारा मिल जायेगा।

3 काम हमेशा टालो, सैलरी फिर भी पूरी पालो।
पहली दो युक्तियाँ अगर काम ना आयें और आपको कोई कार्य सौप ही दिया जाये तो काम को हमेशा टालते रहने की तरकीब अपनाएं। आप काम ख़त्म करें या कल सैलरी तो पूरी ही मिलेगी ना। इसलिए आज का कार्य कल और कल का कार्य परसों पर टाल दें। जब आपकी टेबल पर फाइलों का ढेर लग जाये तो कार्य की अधिकता की शिकायत ऑफिसर से करें। आपका आधा काम किसी दुसरे कर्मठ कर्मचारी को दे दिया जायेगा।

४ मत लो टेंसन वर्ना फॅमिली पायेगी पेंसन।
आपके पास फाइलों का चाहे पहाड़ खड़ा हो जाये पर कभी भी उसे ख़त्म करने की चिंता ना करें। उसकी चिंता तो आपका ऑफिसर ही करेगा। आप मौज लें। देर से ऑफिस जाएँ और छुट्टी से एक घंटा पहले ही अपना लंच बॉक्स अपनी टेबल पर रख ले और घर लोटने की तैयारी करें।

५ काम से डरो नहीं पर काम करो नहीं।
कभी भी ये ना दर्शायें की आपको जब भी कोई कार्य सौपे जाने की बात होती है तो आपका दिल धड़कने लगता है। हमेशा ये दिखाएँ की आप वो बहादुर सैनिक हैं जो आगे रहकर लड़ना चाहता है । हाँ ऐन मौके पर कहीं छुप जाएँ पर कार्य कभी ना करें।

६ काम करो या ना करो पर फ़िक्र जरुर करो।
आपके पास करने के लिए कोई काम हो या ना हो पर हमेशा कार्य के लिए फिक्रमंद से दिखने चाहिए। ऑफिसर को हमेशा ये बताते रहें की आपका वो कार्य अभी तक पूरा नहीं हुआ है और आपकी इस वजह से नीद तक उडी हुयी है।

७ और फ़िक्र करो या ना करो जिक्र जरुर करो।
जहाँ भी ऑफिस के चार आदमी खड़े दिखाई दें तो तुरंत अपने कार्यभार का जिक्र करना शुरू कर दें। उन्हें विस्तार से बताएं की कार्य की अधिकता की वजह से आपके दिन का चैन और रातों की नींद उडी हुयी है।

अगर आप इन सात सुनहरे नियमों का पालन करते हैं तो आपकी सरकारी नौकरी निर्विघ्न और बेदाग पूरी हो जाएगी क्योंकि दाग तो तब लगेंगे जब आप कोई कार्य करेंगे । जब कोई कार्य ही नहीं होगा तो गलती की कोई सम्भावन ही नहीं रहेगी और आप लम्बी उम्र और पेंसन के मजे लूटेंगे।

शुभकामनाओं के मेरा यह स्वच्छ सन्देश सब तक पहुचाएं।

15 टिप्‍पणियां:

  1. एक शाश्वत सत्य. ना केवल सरकारी नौकरी में देखने को मिलता है बल्कि इन नियमों के विशेषज्ञ तो प्राइवेट कम्पनियों में भी अपने जौहर दिखा देते हैं. काफी दबी हँसी हँसा क्योंकि ऑफिस में चोरी से इस व्यंग को पढ़ा. अब इसके लिंक साथियों को भेजने की सोच रहा हूँ.

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  2. आपके व्यंग में इस बार कविताई का भी मज़ा आया. आपके उपशीर्षक कवित्वपूर्ण हैं.

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  3. वैसे तो अपने तंत्र से अच्छा कोई तंत्र नहीं, मगर अपने तंत्र के अधिकांश बेकारों का पूरी दुनिया में कोई मुकाबला नहीं | मेरे एक दोस्त हैं, बड़े मेहनती हैं, सरकारी नौकरी है, कहते हैं, "सरकारी नौकरी में दो किस्म के आदमी होते हैं, एक जो गधे होते हैं, और दूसरे जो गधे की तरह की काम करते हैं|"

    अगर यही बात शिक्षक,डाक्टर, डाकिया, पुलिस और दूसरे महकमों के बाबू, किरानी, साहब सोचें, तो अपना देश कहाँ जाएगा? वैसे अब यह काम चोरी पूरे तंत्र पर भारी पड़ रही है|

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  4. आपने तो मुझे विचार शून्य कर दिया! आप मुझे पहले क्यों नहीं मिले... कम-से-कम आपकी पोस्ट ही मिल जाती तो सात सालों तक गधे की तरह काम करते-करते हम अपना आत्म-सम्मान तो नहीं खोते!
    अब इतना भी बता दीजिये कि आप किस विभाग में है! न न घबराइए नहीं, हम विभाग के सीवीओ को कुछ नहीं बताएँगे कि आप इनमें से कम-अज-कम एक नियम पर खरा उतरना चाहते हैं!

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  5. अच्छी शिक्षा दी है ।
    लेकिन सभी सरकारी कर्मचारी पहले से ही काफी शिक्षित होते हैं। :)

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  6. अरे वाह, डेल कारनेगी की भी छुट्टी करने का इरादा लगता है। वैसे दीप, ये नियम शायद ललित शर्मा जी के ब्लाग पर आ चुके हैं, लेकिन ये हमेशा प्रासंगिक रहेंगे।
    कुछ प्राईवेट नौकरी वालों और व्यापारी वर्ग को भी विचार शून्य बनाने का प्रयास करो, इंतजार रहेगा।
    आभार।

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  7. आईये... दो कदम हमारे साथ भी चलिए. आपको भी अच्छा लगेगा. तो चलिए न....

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  8. जय हो महाराज...चरण बढ़ाईये.. इस अद्भुत ज्ञान को देने के लिए आभार.

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  9. नियमों का खुलासा कर के अच्छा ही किया. वैसे दराल साहब एकदम ठीक कह रहे हैं.

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  10. ये नुस्खे मेरे पापा को बताऊंगा बिना ही मतलब पूरा टाइम देते है ऑफिस को, और जब विधानसभा चल रही होती है तब तो रात-रात का ठिकाना नहीं. बहुत धन्यवाद् ! :>)

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  11. आपके चरणों में मेरा हाथ है प्रभु, आप एक बार दर्शन दीजिए, साक्षात दंडवत होना है।

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