चाह नहीं बनूँ इस दुनिया का
हीरो और भूल खुद को इतराऊ ।
चाह नहीं खीचुं टांग किसी की
और मन ही मन मुसकाऊ।
चाह नहीं लेख उत्तेजक लिखूं
और गलियां सबकी ही खाऊ।
मझे झेल लेना ओ ब्लॉगर तुम
और गुस्से में माउस ना देना फैक
जब भी बात कहू दिल की तुमसे
तुम भेजना हरबार टिपण्णी अनेक ।
(मेरा यह अवैध निर्माण 'मो सम कौन " के संजय अनेजा जी को समर्पित है। आपकी कल की टिपण्णी पढ़ कर मैं अपने paradise में पहुच गया था और वहां से यह निकल कर लाया हूँ।)
मझे झेल लेना ओ ब्लॉगर तुम
जवाब देंहटाएंऔर गुस्से में माउस ना देना फैक
जब भी बात कहू दिल की तुमसे
तुम भेजना हरबार टिपण्णी अनेक ।
क्या बात है !!
अनेक टिप्पणी में से एक का महा दान तो ये रहा इस पुण्य कर्म में.
जवाब देंहटाएंविचार शून्यता के इस महायज्ञ में मेरी भी एक भावनात्मक आहुति
जवाब देंहटाएंसदैव टिप्पणियाँ मिलती रहेंगी।
लो जी कर दी टिपण्णी।
जवाब देंहटाएंबढ़िया तोड़-मरोड़ की आपने !
जवाब देंहटाएंbadiya- badhiya --! maza aa gaya
जवाब देंहटाएंtum likhte rahna
जवाब देंहटाएंtippaniyo ki bochhar rana karta rahega
चाह नहीं लेख उत्तेजक लिखूं
और गलियां सबकी ही खाऊ।
gaaliya bandhuwar
thoda likhe ko sahi kar lo
जवाब देंहटाएंbahut badhiya
tum taang mat kheencho
par likhte rahna
बहुत खूब...बहुत ही खूब.....कुछ ज्यादा ही खूब
जवाब देंहटाएंअच्छी लगी....ब्लौगर की अभीलाषा.
जवाब देंहटाएंमैं तो पूरे का पूरा पोस्ट ही दे रहा हूँ टिप्पणी में..
जवाब देंहटाएं.....................
सानिया मिर्ज़ा---तुम जहाँ भी रहो खुश रहो..(पुरुषों ने तुम्हारे लिए किया क्या है.?
http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/04/blog-post_03.html
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प्रिय दीप,
जवाब देंहटाएंडुबो कर ही मानोगे मुझे।
भैया, अभी तो खेलने खाने के दिन थे मेरे।
ज्यादा ही कर दिया यार तुमने कुछ।
कोई बात नहीं, झेलेंगे दोस्तों की मेहरबानियां।
आभार।
nice............
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर दीप जी
जवाब देंहटाएंआपकी सुंदर कविता से कौन गुस्सा कर सकता है
आप ऐसे ही ओज पूर्ण विचार पोस्ट करते रहिये
आपको बहुत - बहुत धन्यवाद
ओ.के
जवाब देंहटाएंवाह्! ब्लागर की अभिलाषा...बहुत खूब्!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बहुत खूब्
जवाब देंहटाएंachhi rachana ...
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