सोमवार, 19 अप्रैल 2010

मुझे चुप रहने की सलाह और उसे खुला घुमने की छुट.

अभी सुबह अपने बच्चे को स्कुल छोड़कर घर आ रहा था तो मेरे साथ एक घटना घटी जिससे मुझे हमारे समाज के लोगों की मानसिकता का एक नया उदहारण मिला.

मैं स्कुल के सामने से अपनी बायीं तरफ स्कूटर पर आ रहा था तो सामने से बड़ी तेजी से आ रहा एक मोटर साईकिल सवार अपनी साइड छोड़कर अचानक मेरे सामने आ गया और मेरी उससे टक्कर होते होते बची। मुझे उस पर बड़ा गुस्सा आया। मैंने उससे कहा की तुने गलती की है, तू अचानक अपनी साइड छोड़कर मेरे सामने आ गया वो भी इतनी तेज स्पीड में । क्या तुझे सड़क पर चलने की तमीज नहीं है।

मैंने उसे ढंग से चलने की सलाह दी तो वो अपनी गलती समझने के बजाये मुझ पर ही बरस पड़ा।उसने मुझे सड़क पर बना स्पीड ब्रेकर दिखाया और बोला की ये स्पीड ब्रेकर यहाँ बना हुआ मैं स्पीड में था तो बताओ इस स्पीड ब्रेकर से टकराकर अपनी जान दे देता। तुम्हारी तरफ से ये थोडा प्लेन है इसलिए मैं अपनी साइड छोड़कर उलटी तरफ से ले जा रहा था तो कोई गुनाह कर दिया। ये तो तुम्हे देखना चाहिए था की मुझे खुद रूककर निकालने की जगह दे देते।

हमारी इस बहस को सुनकर वहा पर भीड़ इक्कठी हो गयी थी। लोगों ने मुझे समझाया की ये तो नया लड़का है। गर्म खून है। नयी नयी मोटर साइकिल है इसकी। तेज चलाना चाहता है। अब ये स्पीड ब्रेकर बनाकर क्या एक्सिडेंट रुकते है। एक्सिडेंट तो होते रहेंगे। क्यों झगडा बढ़ाते हो बात यहीं ख़त्म कर दो। कुछ लोगों ने उस जगह से स्पीड ब्रेकर हटाने की बात की। मुझे देर हो रही थी अतः मैं उस जगह से चला आया। पर इस घटना ने मुझे फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया।

हमने स्पीड ब्रेकर बनाये हैं उन लोगों पर नियंत्रण करने के लिए जो अंधाधुन्द अपनी गाड़ी चलते हैं और दूसरों से आगे निकालने की फ़िराक में सभी की जान जोखिम में डालते है। पर हमारे समाज के लोग तेज गाड़ी चलने वालों की गलती नहीं निकलते बल्कि स्पीड बर्केरों को ही हटाने की बात करते हैं और तर्क देते हैं की स्पीड ब्रेकर बनाने से क्या एक्सिडेंट होने ख़त्म हो जायेंगे। अरे ख़त्म नहीं होंगे तो काम तो हो जायेंगे ना। जहा दस लोग मरते वहां अगर एक भी बचाता है तो क्या कुछ गलत है।

देखो गलत ढंग से चलने वाला तो चाहेगा ही की जो सही ढंग से गाड़ी चला रहा है उसकी चाहे जान जोखिम में रहे पर उसे तो तेज गाड़ी चलने का मौका मिलता रहे। और हमारा समाज भी उसका ही साथ देता है। मैं सही था। अपनी साइड में स्कूटर चला रहा था और तेज भी नहीं था शायद इसलिए ही सही वक्त पर ब्रेक लगाकर बच गया। और वो मोटर साइकिल वाला तेज चल रहा था और गलत दिशा से आ रहा था पर सभी लोगों ने मुझे शांत रहने की हिदायत दी और उस मोटर साइकिल वाले के पक्ष में सड़क से स्पीड ब्रेकर ही हटाने की मांग करने लगे।

मुझे बड़ा दुःख हुआ हमारे समाज में व्याप्त इस मानसिकता पर। जाने क्यों मुझे हमारे सुपरस्टार शाहरुख़ खान की याद आ गयी। माय नेम इज खान बनाने से पहले उन्होंने भी इसी तरह का शोर मचाया था की उनकी स्पीड को हवाई अड्डे पर लगे स्पीड ब्रेकर ने रोक दिया । इसी तरह से हमारे भारत में भी बहुत से अंधाधुन्द चलने वाले लोगो को नियंत्रित करने के लिए स्पीड ब्रेकर बनाये जाते हैं पर हमारे समाज के कुछ लोग उनका विरोध करते हैं । कहते हैं की इससे लोगों के अधिकारों का हनन होता है।

क्या मेरी तरह से सही चलने वाले लोग इस समाज में यों ही चुप रहने की सलाह पाते रहेंगे और दूसरों की भावनाओं का ख्याल ना रखने वाले यों ही खुले घूमते रहेंगे.

8 टिप्‍पणियां:

  1. यही सच है। शरीफ आदमी को ही हमेशा समझाया जाता है।

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  2. विचार शून्य जी,
    (क्षमा करें, आपने अपने लिए यही संबोधन चुना है वैसे आप विचारों से शून्य तो कतई नहीं हैं.) हाँ तो मैं यह कह रहा था कि असत्य, अन्याय, अपराध के विरुद्ध आवाज न उठाने वाला व्यक्ति दरअसल उस अपराध, असत्य और अन्याय को प्रश्रय देने का अपराधी होता है. जिस समाज में ऐसे लोग बहुतायत में हो जाते हैं वह समाज जड़ हो जाता है और परतंत्रता को आमंत्रित करता है. हमारा समाज भी ऐसी ही जड़ता की ओर बढ़ता जा रहा है. वह उस तंत्र का हिस्सा बनता जा रहा है जो हर आवाज को दबा देने में ही अपना हित रखता है. मैं अनेकों बार ऐसी परिस्थितियों से दो-चार हो चुका हूँ और अब मैंने शराफत छोड़कर ईंट का जवाब पत्थर से देने की नीति अपना ली है. रोज- रोज मरने से एक दिन मरना अच्छा है यही सोचकर अड़ जाता हूँ और अभी तक अड़ा हुआ हूँ.

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  3. जो समझा वो तो मरा आज के समय में!

    कुंवर जी,

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  4. duniya ko kon samjha he ab tak



    shekhar kumawat


    http://kavyawani.blogspot.com

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  5. हमारे यहाँ दो कहावते प्रचलित है जो यहाँ सटीक बैठती है
    १.समझदार को ही हार माननी पड़ती है.
    २.नागो(उद्दंड) से तो राम भी डरता है .
    बाकि तो क्या कहे जीना इसी का नाम राह गया है .

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  6. यदि लोग गलत का विरोध करते और सही का साथ देते, कानून को मानते तो समाज में इतनी अराजकता कभी नहीं फैलती। हमारी यह विशेषता है कि जो शक्तिशाली हो, गुण्डा हो, झगड़ालू हो उससे लोग पंगा नहीं लेंगे और सही को और सहनशील बनने को कहेंगे।
    घुघूती बासूती

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  7. 'समझदारी दिखाकर अब रोता है क्या,
    आगे आगे देखिये, होता है क्या’
    प्यारे, समझदार का हमेशा ही मरण होता है।
    या तो सख्त जान बन जाओ और निशाचर जी की बात का पालन करो या मूर्खता का आवरण ओढ़ लो।

    खग समझे खग ही की भाषा।

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