शनिवार, 10 अप्रैल 2010

रिश्तों की जटिलता.

सुबह अपनी जींस की पैंट धो रहा था, साथ में मेरी प्यारी सफ़ेद शर्ट भी रखी थी। किस्मत ख़राब थी की जींस का कच्चा रंग शर्ट पर चढ़ गया। सोचा यह रंग जब जींस पर नहीं टिका तो शर्ट पर क्या टिकेगा, दो बार साबुन घिसुंगा उतर जाएगा। पर मैं गलत था। साबुन घिस घिस कर हर गया पर मेरी उजली शर्ट फिर से सफ़ेद नहीं हुई। मन मन बड़ा उदास हुआ अरे। कैसा घटिया रंग है जहा इसे स्थायी रूप से रहना चाहिए था वंहा रहा नहीं और जहाँ दाग समझा जा रहा है वहां से हटता ही नहीं।

इससे मुझे मेरे मित्र की समस्या का स्मरण हो आया। वो अपने बड़े भाई के साथ रहते थे। कुछ समय बाद दोनों के बीच मतभेद हुए और दोनों अलग हो गए। यंहा तक ठीक था। बहुत कॉमन बात है। पर इसके बाद बड़े भाई ने कुछ ऐसे लोगों के साथ अपने सम्बन्ध विकसित करने शुरू किये जो पहेले से उनके परिवार के साथ शत्रुता व इर्ष्या की भावना रखते थे। अपने बड़े भाई को बहुत मेहनत तथा लगन से अपने विरोधियों के साथ एक होने का प्रयास करते देख मेरा मित्र उदास होकर मुझसे पूछता था की अगर मेरे भाई ने थोड़ी सी मेहनत हमारे संबंधो को ठीक करने में की होती तो शायद हम साथ साथ होते पर वो तो उन लोगों के साथ मिलाने का प्रयास कर रहा है जहा वो हमेसा एक अजनबी तथा बाहरी व्यक्ति ही बना रहेगा चाहे जितना प्रयास कर ले। जिस परिश्रम का उपयोग अपने सहोदर भाई के साथ रिश्तों को सुधरने के लिए किया जाना चाहिए था वो इसे उन लोगों के साथ व्यर्थ कर रहा है जो हमेशा से उसके साथ शत्रुता व इर्ष्या का भाव रखते आये हैं। अब भला ये कहाँ की समझदारी है की अपने सगे भाई से तो रूठ जाएँ और गैरों की कृपा प्राप्त करेने के लिए अपना तन मन धन न्योछावर कर दें। गैरों की भावनाओं का ख्याल रखे और अपनो को नीचा दिखाए।

यह मानसिकता सभी की है या सिर्फ कुछ ही लोग इसका शिकार हैं।

मुझे तो लगता है यह सर्वभोमिक सत्य है तभी तो वो कच्चा रंग पैंट छोड़कर शर्ट के साथ हो लिया फिर चाहे उसे वहां एक अवांछनीय दाग ही क्यों न समझा जा रहा हो। काश उसे समझ होती की उसे अपनी जगह पर ही बने रहना चाहिए। दूसरों का साथ अपनो से बेहतर नहीं होता । अतः उसे कायम रखने का भरसक प्रयास करते रहो.

3 टिप्‍पणियां:

  1. Ek geet hai...duniya rang rangeeli baba, duniya rang rangeli....

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  2. सामाजिक अनुभवों से जीवन के अनमोल सूत्र निकाल लेना यह केवल विचार-शून्यता की स्थिति में ही संभव हो सकता hai. एक बार फिर आपने rochak kisse से एक behad puraani paarivaarik samasyaa ko naye nazariye से sochaa hai.

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  3. अत्यंत सरल शब्दावली एवं रोचक किस्से के साथ अति गूढ़ समस्या को उजागर किया है

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