इस बाबा का मन भाई ठीक ना है. ना जी कतई ना .
इस बाबा के मन में राजनैतिक चोर है ... हाँ भाई बिलकुल हाँ.
आज तक तो ये बाबा बोले था की समाज को भ्रष्टाचार का नाग डस रहा हैं. इब इस ललिता पवार के छोटे भाई ने ये ना बेरा है के डसने के बाद सापं अपने शिकार को खावे कित से हैं.
हैं जी... ना इब आप ही बताओ. जब भ्रष्टाचार के नाग ने डस ही लिया तो इब वो खायेगा तो ऊपर से ही ना..
तो ऊपर वालों पर ही तो नज़र रखनी चाहिए.
ये कुछ बातें हैं जो मैंने बाबा रामदेव जी के लिए उन्हीं की खड़ी हरियाणवी भाषा में कहीं हैं. मैं इससे ज्यादा इस प्रकार की भाषा में बात नहीं कर सकता इस लिए अपनी औकात पर आता हूँ.
मेरे मन में बाबा रामदेव की राजनैतिक आकाँक्षाओं कहीं थोडा सा संदेह था जो अब निसंदेह में बदल गया है. बाबा रामदेव अगर मन से सच्चे होते तो शायद वो कहते की सांच को आंच नहीं और सर्वोच्च पद पर स्थापित लोगों के ऊपर सबसे ज्यादा नज़र रखने की बात करते. पर ऐसा उन्होंने किया नहीं. शायद कहीं ना कहीं उनके मन में ये विशवास हैं की आने वाले समय में वो इस देश के प्रधानमंत्री बन सकते हैं इस लिए प्रधानमंत्री और दुसरे उच्च पदों पर आसीन लोगों को लोकपाल बिल से उन्होंने अलग रखने की बात की है.
ये मेरा अपना अनुभव है की भ्रष्टाचार की शुरुवात उच्च पदों से ही होती है. अगर राजा भ्रष्ट होगा (जो की वो था ही) तो निश्चित है की उसके राज्य की प्रजा भ्रष्टाचारी होगी ही क्योंकि हम हमेशा अपने से ऊपर वाले की नक़ल करते हैं. अगर हमारे देश के सर्वोच्च पदों पर आसीन लोग खुद ही अपने को लोकपाल के समक्ष निगरानी के लिए प्रस्तुत कर दें तो इस बात का समाज के सभी वर्गों में ये सन्देश जायेगा की इस देश में वी आई पी कोई नहीं. कानून सबके लिए बराबर है.
हमारे देश में सभी लोग वी आई पी स्टेटस के लिए मरे जाते हैं क्योंकि एक वी आई पी सामान्य नियम कानूनों के परे होता है, उनसे ऊपर होता है. उच्च पदों पर आसीन लोगों को लोकपाल बिल में वी आई पी स्टेटस देने का मतलब है आम आदमी को ये सन्देश देना की ये लोग चाहे जो कुछ कर ले इनका कुछ नहीं होगा.
मैं माननीय अन्ना हजारे के इस प्रस्ताव का घोर समर्थन करता हूँ की देश को चलाने वाले सभी लोगों की सारी गतिविधियाँ (उनके हगने और मूतने को छोड़कर) हमेशा आम जनता की कड़ी निगरानी में रहनी चाहिए. क्योंकि अगर इन लोगों को भ्रष्ट कार्य करने का मौका नहीं मिलेगा तो ये लोग अपने से नीचे के लोगों में भी भ्रष्टाचार को सहन नहीं करेंगे.
बाबा को राजनीती का चस्का लगा है और यह उनका पतन का रास्ता है
जवाब देंहटाएंसार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता, विश्वसनीयता के लिए बुनियादी शर्त है.
जवाब देंहटाएंअब आपसे क्या कहें, आप तो खुद ही समझदार हैं ...
जवाब देंहटाएंकानून के दायरे में देश का प्रत्येक व्यक्ति आना चाहिए। अब राजाशाही नहीं है कि राजा भगवान है। ना ही अब अंग्रेजों का कानून है कि वे शासक थे और प्रजा गुलाम थी। इसलिए अब देश में अंग्रेजों द्वारा प्रदत्त कानूनों को बदलने की आवश्यकता है। बाबा के बारे में तो कोई टिप्पणी नहीं करूंगी क्योंकि वे इतना बड़ा काम कर रहे हैं और उनके बारे में अनावश्यक शक देश को पुन: उसी स्थिति में ले जाएगा। उन्होंने अपना मत रखा था, हो सकता है कि उन्हें भी बात समझ आ जाए। इसका यह अर्थ कदापि नहीं हैं कि वे प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं और इसीलिए कानून में छेद छोड़ना चाहते हैं।
जवाब देंहटाएंअगर बाबा को राजनीति का चस्का लग गया है तो उसमे बुराई क्या.... कई नेताओं से बदिया राज करेंगे....
जवाब देंहटाएंsometimes lesser evil is better choice, particularly when you have limited options to choose from:)
जवाब देंहटाएंअभी भी बाबा से बेहतर विकल्प कोई नहीं. बल्कि उन्हें राजनीतिक दल बना लेना चाहिये. क्या कोई विकल्प दिखाई देता है बाबा से बेहतर. यही एकमात्र रास्ता है सम्पूर्ण परिवर्तन का. बाबा ने अभी कहा है कि वह इन पर विचार करने की बात कर रहे थे. फिर भी यदि एक पद छोड़ भी दिया जाता है तब भी बाकी सारे तो निगाह में रहेंगे.
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट को मेरा शत प्रतिशत समर्थन ।
जवाब देंहटाएंबाबा जी कुटिल महत्वाकाँक्षाओं से घिर गये हैं ।
मेरी दृष्टि में खबरों में बने रहने के उनके हथकँडे उनकी भोग-लिप्सा के दूसरे पक्ष को दर्शाती है ।
तुलनात्मक रूप से अन्ना अधिक सरल और गृहस्थ वेष में सन्यासी होने के करीब लगते हैं !
With Microsoft office 2010, you can get things done more easily, from more locations and more devices.Track and highlight important trends with data analysis and visualization features in office 2010 Excel
जवाब देंहटाएं