मंगलवार, 21 दिसंबर 2010

मैं कभी सीरियस ब्लॉग्गिंग नहीं करूँगा.

वर्ष २०१० अपने अंत के निकट है. लोग पीछे मुड़ कर देख रहे हैं  की वर्षभर क्या क्या किया. क्या खोया क्या पाया. मैंने भी ब्लोग्गिं इस वर्ष के शुरू में ही शुरू की थी तो मैं भी पीछे मुड़ कर देख सकता हूँ  और खोज सकता हूँ की मैंने ब्लॉग्गिंग में क्या पाया (मेरे लिए यहाँ  खोने को तो कुछ था ही नहीं).

मेरी ब्लोग्गिं करने की पृष्ठ भूमि सन २००९ में दिल्ली सरकार ने खुद ही बना दी  थी. पिछले वर्ष दिसम्बर माह में मुझे सरकार की तरफ से हमारे छटवें वेतन आयोग का बकाया पैसा मिल गया था . उसी माह  मैं दिल्ली सरकार की  सेक्शन ऑफिसर समकक्ष परीक्षा में भी  मैं सफल हो गया था. तो जनाब मेरे जैसा व्यक्ति जिसकी जेब में थोडा पैसा हो, बहुत सा वक्त हो और प्रतुल जैसा बाल सखा हो तो वो ब्लोग्गिं शुरू कर देता है.

जी हाँ ब्लोग्गिं नाम की  चिड़िया से मुझे प्रतुल जी ने परिचित कराया.  उन्होंने ही मेरा ब्लॉग बनाया और विचार शून्य का तगमा लगा कर चल दिए. शुरू में मुझे ब्लॉग्गिंग के विषय में कुछ भी पता नहीं था. जो पहला ब्लॉग मैंने अनुसरित किया वो था  AshokWorld. मैंने इस ब्लॉग को  कभी भी नहीं पढ़ा और इस पर कोई कमेन्ट नहीं लिख पाया क्योंकि ये  ब्लॉग जाने किस  दक्षिण भारतीय भाषा में लिखा जाता है. मुझे आज भी अपनी उस गधागिरी  पर हँसी  आती है पर मेरी ये आदत अभी तक बरक़रार  है. मेरे द्वारा अनुसरित अधिकांश ब्लॉग या ब्लॉगर जिनके लेखों पर मैं अक्सर टिप्पणियां कर बैठता हूँ "A" से शुरू होकर "S" तक ही फैले हैं.

Amit Sharma,  Sanjay Aneja, Satish Pancham.
Anshumala, Shaifali Pandey, Swapn Manjusha Ada.
Anurag Sharma, Salil- Chaitanya, Satish Saxena.

जब प्रतुल जी के कहे अनुसार ब्लॉग्गिंग शुरू की तो पता नहीं था की ये एक गंभीर कार्य है. मुझे तो ब्लॉग्गिंग ने अपने बीते हुए दिनों की याद दिला दी थी. मेरे बाल्यकाल के अंतिम दिनों में और युवावस्था के शुरुवात में मैं अपने यार दोस्तों के साथ लगभग रोज ही रात्रि भोजन के उपरांत खड़ी-बैठकों में भाग लिया करता था. खड़ी इसलिए  क्योंकि बैठने को तो मिलता ही नहीं था बस खड़े खड़े ही बातें होती थी. हम लोग  हर विषय पर बात करते  थे चाहे वो इरान इराक युद्ध हो या कालोनी के शर्मा जी और वर्मा जी की लड़ाई ,गावस्कर, कपिल और श्रीकांत का खेल हो या अपना अंडा-फट्टी टूर्नामेंट , राजीव गाँधी की राजनीती हो या महोल्ला सुधार समिति के झगड़े, सलमान खान और संगीता बिजलानी की लव लाइफ हो या कालोनी के पप्पू और डोली का रोमांस , सब पर विस्तार से चर्चा होती, बहस होती, तू तू मैं मैं और कभी हाथापाई तक भी बात पहुच जाती थी और ये मामला तब तक चलता जब तक कालोनी का कोई बुड्ढा हमें डाट कर भगा नहीं देता था.   हमारी ये महफ़िल अक्सर कालोनी के चौक पर होती पर कभी कभी कुछ ऐसे चुनिन्दा घरों के आगे भी अपनी महफ़िल सजाते थे जिनमे हमारी उम्र की सुन्दर कन्यायें निवास करती थी. ऐसी बैठकों में बहस या टीका टिप्पणी कुछ ज्यादा ही उत्साह से होती थी और ये टिप्पणिया उन लड़कियों के धीरे धीरे विकसित होते........बुद्धि चातुर्य पर भी होती थी. 

हमारी ये गतिविधियाँ तब तक चलती रहीं जब तक हम लोगों के पास रात्रि भोजन के उपरांत करने के लिए कुछ ज्यादा मजेदार काम नहीं था और जब वो मिला तो हम लोग उस में रम गए. अब सब लोग विवाहित हैं, बाल बच्चेदार  हैं.  घर आते हैं फिर कहाँ निकलना होता है.  

इस तरह जब प्रतुल की कृपा से जब मेरा परिचय ब्लॉग्गिंग से हुआ तो मुझे लगा की पुराने दिन लौट आए हैं. रात्रि भोजन उपरांत नेट पर जाओ. लोगों के विचार पढों. उन पर त्वरित  टिप्पणी दो, थोड़ी बहस करो, किसी से चुहल करो और थोडा मनोरंजन कर फिर चल दो   रात्रि विश्राम हेतु.  सच में मेरे लिए तो ब्लॉग्गिंग यही है. मुझे तो तब डर लगता है जब कहा जाता है  की लोग सीरियसली  ब्लॉग्गिंग नहीं करते. ब्लॉग्गिंग में गंभीर लोग होने चाहिए. अरे ऐसा होगा तो मेरे जैसे लोग कहाँ जायेंगे  जो यहाँ सिर्फ मनोरंजन के लिए  ही हैं. अरे भई आप लोग  हर चीज को इतना गंभीरता से क्यों लेते हैं?  वैसे कुछ लोगों को हर चीज में गंभीरता ढूंढने की आदत होती है.  भई सीरियसली हँसों..... अरे जनाब आप सीरियसली फ्लर्ट करो .......आप सीरियसली मजाक किया करो और जब वास्तव में कोई गंभीर कार्य करने की बारी आती है  तो ये लोग कहीं किसी कौने में जा छिपते हैं.

दोस्तों मेरे लिए तो ब्लॉग्गिंग मनोरंजनार्थ ही है और हमेशा ही रहेगी.  मैं कभी सीरियस ब्लॉग्गिंग नहीं करूँगा.







44 टिप्‍पणियां:

  1. एक बात सभी से जाननी है की ये सीरियसली ब्लोगिंग किसे कहते है कोई इसका मतलब बताये तो पता चले की ये किस बला का नाम है और हम कितने सीरियस ब्लोगर है | मैंने तो देखा है कई बार मजाक व्यंग्य और हास परिहास करती पोस्ट देने वाले ब्लोगर अपने ऐसे ही लेखो में कई गंभीर मुद्दे और बाते कह जाते है जो दिल को छू जाती है | खुद मै किसी गंभीर लेख के बजाये इस तरह की पोस्टो को पहले पढ़ती हु | दो चार गंभीर पोस्ट देने और पढ़ने के बाद तो खुद मुझे ही उबाऊपन लगने लगता है |

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  2. पूरी पोस्ट पढने के बाद भी अपने पल्ले नहीं पड़ा कि सीरियस माने क्या?? ब्लोगिंग/टिप्पणी बस कर लेते हैं..ये अंग्रेजी वाला शब्द तो हमारे रास्ते कभी आया ही नहीं.
    अरे आपकी लिस्ट में हमारा भी नाम..कृतार्थ हुए. नए साल का तोहफा!!
    पांडे जी, ऐसे ही जमे रहिये!!

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  3. भई ज़्यादा समय तो हमको भी नहीं हुआ ब्लॉग बनाये हुए.. पर खड़ी बैठकें हमनें भी बहुत की..

    मनोज

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  4. @खड़ी इसलिए क्योंकि बैठने को तो मिलता ही नहीं था.

    उस समय हमारे मोहल्ले में फट फट सेवा के नाम से पुराना ऑटो खड़ा होता था........ और हमें बैठिकी करने को मिल जाती.......

    बहुत बदिया समय याद दिलाया.

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  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  6. बन्धु, हमारे लिये तो तुम जैसों के दम पर ही ब्लॉगिंग जिन्दा है। सीरियस रहने को और चीजें कम हैं क्या जीवन में?
    वो पुराना गाना, ’कभी अलविदा न कहना’ की तर्ज पर अपन भी यही कहेंगे ’कभी सीरियसली न रहना’
    याद रखा, इसके लिये शुक्रिया। मेरे शुरुआती दौर के साथी हो, जो साथ, प्रोत्साहन तुमने दिया है, भूल नहीं सकता, दीप।
    शुभकामनायें

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  7. भगवान करे आपकी नॉन-सीरियसनेस बरकरार रहे !

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  8. अच्छा अब समझ में आया, कि हमें तो आपने एक-आध टिप्पणी से ब-मुश्किल नवाज़ा होगा। हमनें तो (S)पर 'सुज्ञ' नाम भी रखा, पर हमें कहाँ पता था आप सीरियसली नहिं लेते। :))
    पहले पता होता तो प्रतुल जी की सिफ़ारस लगा लेते। हां याद आया कहीं प्रतुल जी नें लिखा था………कि हमारे घर का पता है V4-0 के पास।

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  9. हम तो आपके नवरत्नों की सूची में अपना नाम पाकर ही धन्य हो गये, सीरियसली!

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  10. चलिए यही सही ! छठवें वेतन आयोग का बकाया पैसा मिलने पर हम भी कोई सीरियस फैसला करेंगे :)

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  11. .
    .
    .
    दोस्तों मेरे लिए तो ब्लॉग्गिंग मनोरंजनार्थ ही है और हमेशा ही रहेगी. मैं कभी सीरियस ब्लॉग्गिंग नहीं करूँगा.

    चलो आपने आज समझा दिया... इसी लिये उस दिन मैंने आपकी भावनाओ को समझा और इस चमत्कार की कथा बाबा के अन्य करोडपति भक्तों तक नहीं पहुंचाई । ... सही किया न... :)


    ...

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  12. ब्लॉगिंग, दाई नेम इज एंटी-सीरियस ! :)

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  13. सीरियसली ब्लॉगिंग !!!
    # कभी भूल मत घुसियो उस गलीं में
    रूप ऐसा ही भाता है विचारशून्यता का :))

    अब हम तो बादशाह सलामत के नवरत्नों में पहला स्थान पाकर भी, खुश नहीं हो पा रहे है. :( ................ क्योंकि सीरियसली थोड़े ही लिखा होगा :)

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  14. सही विचार है। सीरियस काहे को होना खाली-मूली में।

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  15. बहुत ही विचारणीय पोस्ट...सही बात है ..

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  16. मजाक ही मजाक में सीरियस बात कह दी है। जीवन में खुशी ढूंढों और खुशियां बांटो बस।

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  17. @जब वास्तव में कोई गंभीर कार्य करने की बारी आती है तो ये लोग कहीं किसी कौने में जा छिपते हैं.

    ये बात भी सही कही ..

    मेरी नजरों में "सीरियस" और "मनोरंजन" दोनों शब्द ही है अब ये तो ब्लोगर के व्यक्तित्व पर निर्भर करता है की वो इस शब्द का कम से कम सही समय पर निर्वाह कर पाता है या नहीं ...अगर अपनी बात कहूँ तो ब्लोगिंग सच में कुछ पाने के लिए शुरू भी नहीं की थी पर आप सभी का स्नेह और आशीर्वाद मिला ......... वो तो मेरी संपत्ति है ही ना !
    हाँ ..... तो अब जहां तक सीरियस होने वाली बात है बस इस बस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए की लेखों से कम से कम बेवजह किसी का सूकून ना छीने .... मेरी नज़रों में सबसे सीरियस बात यही है ...... जो इस बात का पालन करते हैं वे सब सीरियस ब्लोगर हैं जैसे अगर किसी चुटकुले वाले ब्लॉग के चुटकुले से किसी की भावनाएं आहत नहीं होती हैं या होने पर वो पोस्ट हटा ले [पता चलते ही ] तो वो भी सीरियस ब्लोगर ही है


    ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
    विषयांतर : ये *भावनाएं भड़काने वाला लेख है , कितनी बड़ी टिप्पणी करवा दी :)))))))

    *विशेष नोट : "अच्छी वाली भावनाएं"

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  18. इस गंभीर मजाक को तो हम ठीक-ठीक समझ ही नहीं पाए.

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  19. अरे हम भी इतने गंभीर नहीं है ...ब्लोगिंग के लिए ...शुक्रिया इस पोस्ट के लिए

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  20. वाह क्या बात है। यही तो है ब्लॉगिंग मियां। औऱ क्या सीरीयस हुआ जाए। जो जैसा है वैसा ही तो सामने है।

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  21. मेरा तो मानना है जहाँ जिस की आवश्यकता हो वहां वो दिया जाए. सीरीयस ब्लोगिंग की आवश्यकता अभी तो नहीं लगती. वैसे आप कामयाब भी इसी कारण हैं... आप के लेख़ का समय आ गया है..

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  22. इतनी सीरियस बात कह दी और कह रहे हैं कभी सीरियस नहीं होना ।

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  23. बहुत ही विचारणीय पोस्ट| शुक्रिया इस पोस्ट के लिए|

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  24. नववर्ष आपके लिए मंगलमय हो और आपके जीवन में सुख सम्रद्धि आये…एस.एम् .मासूम

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  25. सुदूर खूबसूरत लालिमा ने आकाशगंगा को ढक लिया है,
    यह हमारी आकाशगंगा है,
    सारे सितारे हैरत से पूछ रहे हैं,
    कहां से आ रही है आखिर यह खूबसूरत रोशनी,
    आकाशगंगा में हर कोई पूछ रहा है,
    किसने बिखरी ये रोशनी, कौन है वह,
    मेरे मित्रो, मैं जानता हूं उसे,
    आकाशगंगा के मेरे मित्रो, मैं सूर्य हूं,
    मेरी परिधि में आठ ग्रह लगा रहे हैं चक्कर,
    उनमें से एक है पृथ्वी,
    जिसमें रहते हैं छह अरब मनुष्य सैकड़ों देशों में,
    इन्हीं में एक है महान सभ्यता,
    भारत 2020 की ओर बढ़ते हुए,
    मना रहा है एक महान राष्ट्र के उदय का उत्सव,
    भारत से आकाशगंगा तक पहुंच रहा है रोशनी का उत्सव,
    एक ऐसा राष्ट्र, जिसमें नहीं होगा प्रदूषण,
    नहीं होगी गरीबी, होगा समृद्धि का विस्तार,
    शांति होगी, नहीं होगा युद्ध का कोई भय,
    यही वह जगह है, जहां बरसेंगी खुशियां...
    -डॉ एपीजे अब्दुल कलाम

    नववर्ष आपको बहुत बहुत शुभ हो...

    जय हिंद...

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  26. नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें!

    पल पल करके दिन बीता दिन दिन करके साल।
    नया साल लाए खुशी सबको करे निहाल॥

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  27. नूतन वर्ष २०११ की हार्दिक शुभकामनाएं .

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  28. kripya meri kavita padhe aur upyukt raay den..
    www.pradip13m.blospot.com

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  29. पाण्डेय जी,
    नए साल पर नया लेख कब मिलेगा हम पाठकों को ? :)

    आपको व आपके परिवार को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये

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  30. सुज्ञ जी की पोस्ट पर आपके प्रश्न का उत्तरः
    http://uchcharan.uchcharan.com/2011/01/blog-post_06.html

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  31. chaliye aapke post se hame bhi sochna para...serious blogging naam ki chidiya ke peechhe kabhi nahi bhagenge...:)

    waise sach to ye hai, hame bhi thori bahut chAhkna, thora masti karna aur thora chhedna maja deta hai....:)


    aakhir dil to bachcha hai jee..........:)

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  32. जनाब को आदाब ! आपके लिए नया साल अच्छा गुज़रे ऐसी हम कामना करते हैं। आपकी फ़ोटो अच्छी लगी।
    हम फ़क़ीरों को महलों ये क्या काम ?
    हम तो बस आप ही को देखा किये।
    हम फ़क़ीरों को यादे मौला के सिवा और चाहिए ही क्या ?
    लेकिन आप ने बनाई है तो पोस्ट को भी सराहना पड़ेगा और है भी अच्छी,
    सचमुच !
    आपकी जिज्ञासाओं को शांत करेगी


    प्यारी मां
    ये लिंक्स अलग से वास्ते दर्शन-पठन आपके नेत्राभिलाषी हैं।
    http://lucknowbloggersassociation.blogspot.com/2010/12/virtual-communalism.html

    http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/12/patriot.html


    http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/01/standard-scale-for-moral-values.html

    http://mankiduniya.blogspot.com/

    http://pyarimaan.blogspot.com/

    http://commentsgarden.blogspot.com/

    http://ahsaskiparten.blogspot.com/

    http://islamdharma.blogspot.com/

    http://vedquran.blogspot.com/

    मेरे दिल के हर दरवाज़े से आपका स्वागत है।

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  33. शीर्षक हल्के में लेने लायक नहीं है।

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  34. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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