नमस्कार जी,
ब्लॉगजगत के सभी सदस्यों को ईद-ए-मिलाद कि शुभकामनाएं. बहुत दिनों बाद पोस्ट प्रकाशित कर रहा हूँ. पिछली पोस्ट थी कि मैं गंभीर ब्लोगिंग नहीं करूँगा पर कुछ बातें ऐसी हुई कि ब्लॉग्गिंग ही बंद हो गयी. वो हुआ कुछ ऐसा कि गत वर्ष २३ दिसंबर की शाम जब मैं ऑफिस से वापस घर लौट रहा था तो रास्ते में पास से गुजार रहे एक पगले से कुत्ते ने अचानक ही मेरे टखने पर अपने दांत गढ़ा दिए. मैंने झटक कर पैर छुड़ाने की काफी कोशिश की पर सफल नहीं हो पाया तो मैंने हाथों से ही उसके मुह को खोल अपने पांव को छुड़ाया पर तब मेरा बांया हाथ ही उसके भरे-पूरे मुंह में फंस गया. भैय्या किसी तरह से मैंने अपने आप को बचाया.
इस कार्यक्रम में मेरे हाथ और पैर बुरी तरह से जख्मी हो गए. कुत्ते के दांत हाथ के अंगूठे में और पैर के टखने पर ठीक नस के ऊपर ही लगे थे अतः दोनों जगहों से रक्त का प्रवाह कुछ इस तरह का था कि मुझे डर लगा कहीं मेरी टंकी वक्त से पहले खाली ना हो जाए. मैं तुरंत हॉस्पिटल दौड़ा (भई रिक्शे कि सहायता से..). अस्पताल में डाक्टर साहब ने समझाया कि हालात सीरियस है. एक टीका यहीं लगेगा और दुसरे टीके के लिए जो कि घाव में ही लगेगा बड़े हॉस्पिटल जाना होगा. अब हालात सीरियस थे तो वहां भी गए. जो जो किया जा सकता था वो सब किया और घर वापस आ गए.
घर आकार जब वक्त मिला तो सारे घटनाक्रम पर विचार किया कि आखिर ऐसा क्यों हुआ. कहीं उस पगले कुकुर ने मेरी पिछली पोस्ट तो नहीं पढ़ ली थी जिसमे मैंने लिखा था कि मैं सीरियस ब्लॉग्गिंग नहीं करूँगा. उसने मेरा लेख पढ़ कर सोचा होगा कि साले कि हालत ही सीरियस कर दो तब जो कुछ भी करेगा सीरियस ही होगा और मुझे इस तरह से घायल किया कि मेरे घाव तो भर गए पर उनमे दर्द अभी भी होता है.
बहुत सी साहित्यिक रचनाओं में अनेक बार पढ़ा था कि शरीर के जख्म तो भर गए पर मन के घाव अभी भी दुखते हैं. इस साहित्यिक बात को मैंने अब प्रत्यक्ष में अनुभव किया है जब डौगी भाई के दिए जख्म तो भर गए हैं पर उनका दर्द रह-रह कर अभी भी परेशान करता है.
चलिए हो सकता है कि अब आपको मेरे लेखों में कुछ दुःख और दर्द भी दिखलाई पड़े तो फ़ौरन समझ लीजियेगा कि अगले को कुत्ते ने काटा है तभी इसकी लेखनी में इतना दर्द समां गया है. जो भी हो अब नियमित रूप से आपके साथ अपना दर्द बाटता रहूँगा. ( बस मन में ये डर भी है कि लोग ये ना सोचें कि हमें कोई कुत्ते ने थोड़े ही काटा है जो इसका ब्लॉग पढ़ें. वैसे कुत्ता काटे तो लोगों कि सहानभूति बटोरना मुश्किल होता है. अपना दर्द बताने पर लोग कहते हैं कि आपको कुत्ते ने अब काटा है पर आपकी हरकतें तो पहले से ही वैसी रही हैं. )
ब्लॉगजगत के सभी सदस्यों को ईद-ए-मिलाद कि शुभकामनाएं. बहुत दिनों बाद पोस्ट प्रकाशित कर रहा हूँ. पिछली पोस्ट थी कि मैं गंभीर ब्लोगिंग नहीं करूँगा पर कुछ बातें ऐसी हुई कि ब्लॉग्गिंग ही बंद हो गयी. वो हुआ कुछ ऐसा कि गत वर्ष २३ दिसंबर की शाम जब मैं ऑफिस से वापस घर लौट रहा था तो रास्ते में पास से गुजार रहे एक पगले से कुत्ते ने अचानक ही मेरे टखने पर अपने दांत गढ़ा दिए. मैंने झटक कर पैर छुड़ाने की काफी कोशिश की पर सफल नहीं हो पाया तो मैंने हाथों से ही उसके मुह को खोल अपने पांव को छुड़ाया पर तब मेरा बांया हाथ ही उसके भरे-पूरे मुंह में फंस गया. भैय्या किसी तरह से मैंने अपने आप को बचाया.
इस कार्यक्रम में मेरे हाथ और पैर बुरी तरह से जख्मी हो गए. कुत्ते के दांत हाथ के अंगूठे में और पैर के टखने पर ठीक नस के ऊपर ही लगे थे अतः दोनों जगहों से रक्त का प्रवाह कुछ इस तरह का था कि मुझे डर लगा कहीं मेरी टंकी वक्त से पहले खाली ना हो जाए. मैं तुरंत हॉस्पिटल दौड़ा (भई रिक्शे कि सहायता से..). अस्पताल में डाक्टर साहब ने समझाया कि हालात सीरियस है. एक टीका यहीं लगेगा और दुसरे टीके के लिए जो कि घाव में ही लगेगा बड़े हॉस्पिटल जाना होगा. अब हालात सीरियस थे तो वहां भी गए. जो जो किया जा सकता था वो सब किया और घर वापस आ गए.
घर आकार जब वक्त मिला तो सारे घटनाक्रम पर विचार किया कि आखिर ऐसा क्यों हुआ. कहीं उस पगले कुकुर ने मेरी पिछली पोस्ट तो नहीं पढ़ ली थी जिसमे मैंने लिखा था कि मैं सीरियस ब्लॉग्गिंग नहीं करूँगा. उसने मेरा लेख पढ़ कर सोचा होगा कि साले कि हालत ही सीरियस कर दो तब जो कुछ भी करेगा सीरियस ही होगा और मुझे इस तरह से घायल किया कि मेरे घाव तो भर गए पर उनमे दर्द अभी भी होता है.
बहुत सी साहित्यिक रचनाओं में अनेक बार पढ़ा था कि शरीर के जख्म तो भर गए पर मन के घाव अभी भी दुखते हैं. इस साहित्यिक बात को मैंने अब प्रत्यक्ष में अनुभव किया है जब डौगी भाई के दिए जख्म तो भर गए हैं पर उनका दर्द रह-रह कर अभी भी परेशान करता है.
चलिए हो सकता है कि अब आपको मेरे लेखों में कुछ दुःख और दर्द भी दिखलाई पड़े तो फ़ौरन समझ लीजियेगा कि अगले को कुत्ते ने काटा है तभी इसकी लेखनी में इतना दर्द समां गया है. जो भी हो अब नियमित रूप से आपके साथ अपना दर्द बाटता रहूँगा. ( बस मन में ये डर भी है कि लोग ये ना सोचें कि हमें कोई कुत्ते ने थोड़े ही काटा है जो इसका ब्लॉग पढ़ें. वैसे कुत्ता काटे तो लोगों कि सहानभूति बटोरना मुश्किल होता है. अपना दर्द बताने पर लोग कहते हैं कि आपको कुत्ते ने अब काटा है पर आपकी हरकतें तो पहले से ही वैसी रही हैं. )
हमें भी एक बार एक कुत्ते ने यह अनुभूति प्रदान की थी...
जवाब देंहटाएंummid hai ab aap puri trh se swasth honge,or niymit bloging krenge....
जवाब देंहटाएंsu-swagatam !
.
जवाब देंहटाएंकड़वा बोले, कुत्ता काटे.
.
हाँ अब ठीक है ......!
जवाब देंहटाएंआ गए न सही रस्ते पर ! औरों के तो मज़े हो गए जब कटखने कुत्तों को भी "डागी भाई" बोलने लगे :-))
अरे बाबा विचार शून्य !
आप तो ब्लॉग ज्ञानिओं में से एक हो महाराज ( बुरा नहीं मान जाना ...कह मैं ठीक रहा हूँ )
यहाँ कौन किसे पढता है ?? ९० % लेख, सरसरी निगाह से, टिप्पणिया ठोंकने के लिए पढ़े जाते हैं ! क्या फर्क पड़ेगा जब विचार शून्य जी गंभीर लिखना छोड़ देंगे ?? अधिकतर लेखों को विचार के लिए केवल आपके मित्र पढेंगे और उन्हें कोई फर्क नहीं पढता क्योंकि आप जो भी लिखोगे हम उसमें ही राम ढूँढ लेंगे ...
हमें तो आज पहली बार आपने हंसने के लिए मजबूर कर दिया सो ऐसा ही मस्त लिखा करो.... बार बार आयेंगे !
अरे हाँ ...
वे डौगी भाई कहाँ है ...मैंने उन्हें ढूंढ कर कुछ बात करनी है !
जवाब देंहटाएंमैं डौगी भाई साहब से करबद्ध पूंछने वाला हूँ ....
-कि उन्हें कैसे पता चला कि यह एक ब्लोगर है ...??
-कि उन्हें कैसे पता चला कि यह ब्लोगर विचारशून्य है ...??
-कि कौन सा गुस्सा था, जिसके कारण उन्हें एक सीधे साधे ब्लोगर पर पब्लिकली अटैक करने को मजबूर होना पड़ा ....
जवाब देंहटाएंवैसे दोस्त एक बात कहूं ...
नाम की तलाश में भटकते कुत्ते,अच्छे अच्छों को सीरियस कर जाते हैं !
खुदा खैर करे!
जवाब देंहटाएंAapke halaat to serious hue(dukh hai is baat kaa),lekin padhte,padhte hansi to bahut aayi!
जवाब देंहटाएंदीप भाई ... अपना ख्याल रखें ! बाकी आपको एक मेल कर रहा हूँ ... जवाब का इंतज़ार रहेगा !
जवाब देंहटाएंसीरियस ब्लॉगिंग के लिये इतना बड़ा ख़तरा!! ओह गॉड!!
जवाब देंहटाएंवैसे कई लोगों को काटा है उस कुत्ते ने!!
जनाब, पूरे घटनाक्रम पर विस्तृत नजर दौडाने के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे है कि गलती सरासर आपकी थी ! कभी ठन्डे दिमाग से सोचियेगा कि अगर कोई आपके निजी जीवन में ताक-झांक करे, तो आपको कैसा लगेगा ? और आपने तो तब सारी हदें ही पार कर दी थी, जब अपनी पिछली पोस्ट ब्लॉगर पंच लक्षणं में एक शरीफ इन्सान, सॉरी कुत्ते को उसके बेहद निजी पलों वाले चित्र के साथ अपने ब्लॉग पर ही पर्दर्शनी के लिए टांग दिया ! शुक्र कीजिये कि उसने आपका सिर्फ पैर और हाथ ही ..........:)
जवाब देंहटाएंउम्मीद है आप आगे से इसी तरह सीरियस ब्लोगर बने रहेगे !
आज आप उस वौज्ञानिक को धन्यवाद दे रहे होंगे जिसने D.O.G. साहब के काटने पर नये इंजेक्शन को इजाद किया वरना सोचिये १४ वो भी पेट में, इसे गंभीरता से सोचिये दर्द कुछ कम हो जायेगा |
जवाब देंहटाएंD.O.G. साहब को प्रमोशन चाहिए ( अब उसके नाम के आगे कटखौआ जोड़ जायेगा ) होगा या फिर अपने आकडे सुधार रहे होंगे अब तक .......|
न जाने मुझे क्यूं लगता रहा था कि आपको कुत्ता काटेगा जरुर जैसे गिरिजेश जी को काटा था या काटी थी ...आप वाली क्या थी /था ? देखा था क्या ?
जवाब देंहटाएंबहरहाल अब स्वस्थ है अच्छा लगा और वह भी बिना ब्लागजगत की शुभकामनाओं के ही !
@ अरविन्द जी ,
जवाब देंहटाएंविचार शून्य साहब से ऐसी अपेक्षा आपने क्यों की :)
@ विचार शून्य साहब ,
दर्द को रिलीज करते रहिएगा आराम मिलेगा :)
जवाब देंहटाएंऔर आगे से ऐसी जगह नहीं जाना जहाँ कुत्ते पहचान लें ...मैं बहुत दिनों से सावधान रहता हूँ ! :-)
गिरिजेश राव का मामला पढने के लिए देखना है तो निम्न लिंक पर जाएँ !
http://satish-saxena.blogspot.com/2010/08/blog-post_11.html,
गिरिजेश जी, सुब्रमणियन साहब जैसे वरिष्ठ ब्लागर्स से सुसज्जित ’श्वान-पीड़ित ब्लॉगर्स एसोसियेशन’ की सदस्यता प्राप्त होने की बधाई। वैसे कुत्ता काट ले तो कुछ समय तक उसे जांच के दायरे में रखा जाता है, पता करवाना था कि ब्लागिंग शुरू तो नहीं कर दी उसने?
जवाब देंहटाएंएक संयोग ये है कि मैं एक पोस्ट लिखने वाला था कि ’अब मैं सीरियस ब्लागिंग करूंगा’ फ़िलहाल मुल्तवी:)
ये मानते हुये कि वाकई ऐसा हुआ होगा, एक सलाह है - इलाज में लापरवाही न करना, बन्धु। हंसी मजाक सिर्फ़ इसलिये है कि मुश्किल समय आसानी से कट सके।
जैसा मस्त आप लिखते हैं वैसी ही मस्त टिप्पणियाँ पढने को मिलती हैं .. लेट आने में बहुत फायदा हुआ :)
जवाब देंहटाएंसाथ इसका आशय ये भी हुआ की आप उन खुशनसीब लेखकों में से हैं जिनके लेख पूरे पढ़े जाते है :))
प्रतुल जी की टिप्पणी सबसे मस्त लगी ... वो पढी तो आगे कुछ सूझा ही नहीं :))
सच बताऊँ ... पिछले कुछ दिनों से दिन तो मेरे भी असंतुलित चलते लग रहे हैं ("असंतुलित" का मतलब अपने को क्या पता की जो बात अपने को नहीं जँच रही वो सच में अपने लिए "अच्छी" है या "बुरी" ..... ये तो वक्त ही बतायेगा न !)
और हाँ ..... "संजय @ मो सम कौन जी" की सलाह कोपी पेस्ट कर रहा हूँ
जवाब देंहटाएं"इलाज में लापरवाही न कीजियेगा । हंसी मजाक सिर्फ़ इसलिये है कि मुश्किल समय आसानी से कट सके।"
पूरे चौदह लगे होंगे? तब कहीं जाकर सीरीयसनेस आयी है। अब ध्यान रखना, कहीं दोबारा गुर्रा ना दे।
जवाब देंहटाएंसही कहा जी अब सही बात तो वही करेगा जिसे कुत्ते ने काटा हो,,
जवाब देंहटाएंचलो मैं भी कुत्ते से कटवा लूं
बहुत सुंदर रचना, करारा व्यंग। साधूवाद।
कुकुर काट गयो तोहे तो विचारी बबुवा
जवाब देंहटाएंओरन को छाड़ तोहे को ही क्यों खाबुआ
वैसे इसका जवाब मैं दे सकता हूँ की कुत्ते ने औरों को छोड़ आप को ही क्यों काटा ...............
हमारे राजस्थानी में एक कहावत है ___ "नाई, बामण, कूकरो, देख सके ना दुसरो" ......... मतलब नाई,ब्रह्मण और कुत्ता एक ही जगह पर अपने दूसरे समकक्ष को सहन नहीं कर सकता है...............बोले तो एक मयान में दो तलवारें नहीं आ सकती............... अब आपने उस कुकुर को जब ब्लोगर बना ही दिया, या ब्लोगर को कुकुर बना दिया तो .................... एक ब्लोगर दूसरे ब्लोगर को कैसे सहन करता बस काट खाया :)
वैसे प्रतुल जी से इस बारे में अभी कुछ ही दिनों पहले सूचना मिली थी, पर विगत में आपसे संपर्क साधने के चलते मिले अनुभवों से डरते हुए चाहते हुए भी कुशल ना पूछ पाया, आशा है अब आप पूर्ण स्वस्थ होंगे.
be careful next time .
जवाब देंहटाएंदीपक जी,
जवाब देंहटाएंशीघ्र ही वह हुक सा उठने वाला दर्द भी जाता रहे, शुभकामनाएं।
आप सीरियसली उन कटखने लक्षणों से बाहर आएं। हास्य-परिहास भी जरूरी है,पागलपन भी जरूरी है-मिरांडा फ़ेम
kamaal hai itna mazedar post par koi tippni nahiN!?
जवाब देंहटाएंAapko kya bataauN ki thik aisi hi ghatna mere sath kuchh hi din pahle ghati. farq bas itna raha ki mujhe kutte ke munh me hath nahiN daalne pade, pass me pade do bade patthar uthane se mamla nipat gaya.
antim, nishkarshaatmak pankitiyaaN bahut mazedar lagiN :
वैसे कुत्ता काटे तो लोगों कि सहानभूति बटोरना मुश्किल होता है. अपना दर्द बताने पर लोग कहते हैं कि आपको कुत्ते ने अब काटा है पर आपकी हरकतें तो पहले से ही वैसी रही हैं. )
ये गलत बात है अपनी बात कह दी और दूसरो को कहने का मौका नहीं दिया , भाई टिपण्णी आप्शन क्यों बंद कर दिया | पूरी पोस्ट पढ़ने के बाद कितने ढेर सरे विचार आ गए थे सब बेकार गए, मुबारका हो अब आप भी इस पोस्ट के बाद उनकी हिट लिस्ट में शामिल हो गए होंगे |
जवाब देंहटाएंबिलकुल गलत बात है यह ............... किसकी ??? दिव्या जी की भी और आपकी भी ............... दिव्या जी ने कहा की ----- "ब्लॉगजगत में ज्यादातर लोग उसी दिन निकलते हैं टिपण्णी करने के सफ़र पर जिस दिन वो अपने ब्लॉग पर नयी पोस्ट लगाते ।"
जवाब देंहटाएंअब यह तो कोई भी समझ सकता है की कोई बिचारा समय का मारा ब्लोगर अपने ही ब्लॉग पर कई दिनों में एक पोस्ट लगाता है तो दूसरे ब्लोगों पर कैसे रोज टिपण्णी करने पहुँच जाएगा ???? क्या महोदया जमीन से नाता तोड़ चुकी है, जो उन्हें जमीन से जुडी इतनी सी बात पकड़ में नहीं आयी !!!!!
और आपकी यह बात भी गलत है की आपने हमें ब्लोगर आत्मसम्मान से जुड़े इतने प्रमुख मुद्दे पर विचार रखने से रोक दिया. मेरा प्रबल विरोध अपने विरुद्ध भी स्वीकारें :(
"मेरी पोस्ट पर बहुत लंबा चौड़ा डिस्क्लेमर चेप कर आये हो तुम, वो भी दो दो बार। क्या सोचा ऐसे आसानी से निकल जाओगे?:)) हमारी टिप्पणी नापसंद आती हो तो सीधे लफ़्जों में कहना होगा कि संजय जी, कृपया टिप्पणी न करें, काहे से कि तुम्हारी तरह "मैं लोगों के मन में छिपी बातों को नहीं पढ़ पाता।" ये जवाब तुम्हारी कल के कमेंट का।
जवाब देंहटाएंअब उस पोस्ट का कमेंट, जिस पर टिप्पणी ऑप्शन नहीं रखा -
बड़े नौटंकी बाज आदमी हो यार तुम। कहीं का नजला कहीं उतारा है तुमने। मैं खुद नॉन-सीरियस टाईप का ब्लॉगर हूँ, नहीं तो तुम्हारी सीरियसनेस का सर्टिफ़िकेट जरूर जारी कर देता। दोस्त ही तो दोस्त के काम आता है, कल ही शोले देखी है। जय ही तो गया था अपने दोस्त बीरू की सिफ़ारिश लेकर। जैसे उसे अपने दोस्त में सब गुण ही गुण नजर आते हैं, मुझे भी तुम बहुत सीरियस लेखक और टिप्पणीकार लगते है, लेकिन परेशानी फ़िर वही, मैं खुद नॉन-सीरियस..
भाई, नये ब्लॉगर्स को तो हम भी क्षमतानुसार कमेंट करते हैं, तुमने संशय में डाल दिया है।
डोंट वरी, बी हैप्पी:)
@मैंने तो गौरव अग्रवाल जैसे प्रतिभा संपन्न ब्लॉगर को अपने ब्लॉग पर टिपण्णी करने से हतोत्साहित ही किया था.
जवाब देंहटाएंवो भूली दास्ताँ .....लो फिर याद आ गयी ......
हम तो इतना ही कहेंगे आपके और मेरे बीच जो मिस अंडर स्टेंडिंग हुई थी उसमें अगर किसी भी तीसरे निष्पक्ष राय देने वाले से पूछे तो आप ही सही है और लोजिकली थे भी ..मतलब सच मेरी टिप्पणियाँ जी हुजूरी टाइप की लगती होंगी ..हाँ बस रीपीट करने से [मेल के बाद पोस्ट पर ] थोड़ा सा मामला बराबरी में आ गया था :) जो कमीं मेरी ओर से थी वो शब्दकोश की कमी हो सकती है शायद (अभी तक तक बढाया जा रहा है :)) ) लेकिन सच उससे मुझे ही फायदा हुआ थोड़ा लिखने पर कंट्रोल आया दूसरा सबसे महत्वपूर्ण आप जैसे मित्र मिले
अब मुझे पर भी कथित तौर पर "भड़ास" निकालने का आरोप लगे इससे पहले में स्पष्ट कर दूँ मैंने लेख में मेरा नाम था इस लिए कुछ लिखा है
जवाब देंहटाएंजहां तक पाण्डेय जी पर लगे आरोप की बात है मुझे इतना कहना है की "ये तो होना ही था" उन्हें वो पोस्ट (मेरा मतलब उस आये कमेन्ट ) देखने चाहिए जिसके बाद मैंने ब्लॉग विशेष पर जाना बंद किया ..... जहां देशभक्ति और मन भक्ति मिक्स होती हो ऐसे ब्लोग्स पर ना जाना तो ही बेहतर है
नोट : ये बात ई - मेल से भी कह सकता था .. है ना ?:)
@ये गलत बात है अपनी बात कह दी और दूसरो को कहने का मौका नहीं दिया
जवाब देंहटाएंप्रिय बहन अंशुमाला जी
इस तरह अगर खेल चलने लगे तो ना जाने कितने भाई / बहन लपेटे में आयेंगे .... क्योंकि मेरी टिप्पणियाँ उड़ाने वाले भी इस तरह की पोस्ट + टिप्पणियों के हकदार हैं
(आप समझ रही हैं ना :)) ...... या स्पष्ट करना पड़ेगा ?:)
@पाण्डेय जी
जवाब देंहटाएं(मित्रों वाली सलाह)
आप मेरी नज़रों में एक बेहतरीन ब्लोगर हैं और आप की "बिना कमेन्ट वाली पोस्ट" की आप जैसे ब्लोगर्स को कोई आवश्यकता नहीं .... बिलकुल नहीं ...
{पिछली टिपण्णी में सुधार}
जवाब देंहटाएं@पाण्डेय जी
(मित्रों वाली सलाह)
आप मेरी नज़रों में एक बेहतरीन ब्लोगर हैं और आप की "बिना कमेन्ट वाली पोस्ट" की आप जैसे ब्लोगर्स को कोई आवश्यकता नहीं .... बिलकुल नहीं ... "कमेन्ट वाली पोस्ट" की तो बिलकुल भी नहीं
@सच कहूँ तो मैं quality में विश्वास रखता हूँ quantity में नहीं.
जवाब देंहटाएंये पढ़ के मैं निराश हो गया :(
कित्ती सारी टिप्पणियाँ कर दी मैंने ! मैं quantity पर कंट्रोल नहीं रख पाता quality का पता नहीं :(
(कोई टिप्पणी बेकार लगे तो हटा सकते हैं.. हम तो भाई जैसे हैं वैसे रहेंगे :)
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जवाब देंहटाएंविचार शून्य जी ,
जिस कुत्ते ने आपको काटा है , उस पर धारा ३०३ के तहत - " attempt to rabies " का मुकदमा चलना चाहिए ।
आपकी अगली पोस्ट भी अच्छी लगी । उसके लिए आभार ।
उसके बाद वाली नवीनतम पोस्ट तो और भी अच्छी लगी । उसके लिए बधाई ।
अंशुमाला जी ने सही लिखा है । मेरे ह्रदय में अब आपके लिए विशेष स्थान है । आपके लिए मेरा स्नेह अब द्विगुणित हो गया है ।
आपके सतत लेखन के लिए मेरी अशेष शुभकामनायें ।
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जवाब देंहटाएंअमित जी ,
आपकी आपत्ति बेहद उचित है । व्यस्तता के चलते कमेन्ट कर पाना अक्सर मुश्किल हो जाता है । आशा है आप मेरी अज्ञानता के प्रति क्षमा दृष्टि रखेंगे ।
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