शुक्रवार, 13 अगस्त 2010

मिर्च बिना जीवन सूना.

मुझे कभी लौकी कि सब्जी बेहद पसंद थी. ये वो समय था जब माँ खाना बनाया करती थी. ये वो समय भी था जब लौकी इंजेक्शन के बिना ही उपजती थी. आज ना माँ है और ना प्राकृतिक ढंग से उगी लौकी तो वो स्वाद भला कैसे आयेगा. फिर भी मेरी पत्नी अपनी पूरी कोशिश करती हैं  कि मेरी जिव्हा को भाता लौकी का कोई व्यंजन बन सके.
उन्होंने तरह तरह के प्रयोग किये फिर एक दिन जब हमारे घर पर लाल मिर्च ख़त्म थी तो उन्होंने हरी मिर्च डाल के लौकी कि सब्जी बना दी. हरी मिर्च का ये प्रयोग हम दोनों को बहुत भाया. तब से हमने अपने घर में बनाने वाली प्रत्येक सब्जी में हरी मिर्च डालकर देखा. कुछ सब्जियों का जायका तो एकदम ही बदल गया. मैंने एक बार किसी शेफ के इंटरव्यू में पढ़ा था कि आप सिर्फ भारतीय पकवानों के साथ इस प्रकार के प्रयोग कर सकते हैं जहाँ कि आप कभी भी किसी एक मसाले को कम ज्यादा या अदल बदल कर उस पकवान का जायका बदल सकते हैं. उसने बताया था कि दुसरे देशों के पकवानों कि रेसिपी एकदम नपी तुली होती है. जरा सा भी एक आद मसाला कम ज्यादा या इधर उधर किया और पकवान कि वाट लग जाती है.

मैं एक कुक नहीं हूँ अतः इस विषय पर ज्यादा  कुछ नहीं कह सकता पर हाँ मिर्च पर जरुर चार बातें बनाऊंगा.

मेरी समझ से  मिर्च एक ऐसी चीज है जिसे जब हमारा शरीर ग्रहण करता है और जब त्यागता हैं तो दोनों ही वक्त इसका स्वाद हम पहचान लेते हैं. खड़ी भाषा में कहूँ तो मिर्च के स्वाद  को हमारे दोनों मुंह पहचान लेते हैं.

मिर्च को जिव्हा के अतिरिक्त हमारी कम से कम तीन  इन्द्रियां तो स्पष्ट रूप से पहचान ही लेती हैं आइये गिन लें:

१. आंख में मिर्च लगती हैं. आँखों को नमक का स्वाद  महसूस नहीं होता. हमारे आंसू नमकीन होते हैं ये हमें अपनी जीभ से पता चलता है. मीठे पानी से आंखे धोते हैं कभी पता चला आपको?

२. नाक में मिर्च लगती है.  मिर्च के धुंए को सूंघे तब महसूस होगा.

3. कटे पर मिर्च लगती है यानि कि हमारी त्वचा भी मिर्च को पहचान लेती है.

हरी मिर्च हमें नजर से बचाती है. और अगर किसी कि बुरी नजर लग ही गयी हो तो उसे लाल मिर्च से झाड़ दिया जाता है.

अब अगर थोडा दुसरे ढंग से सोचे तो लाल या हरी मिर्च को जरुरत से ज्यादा अपने जीवन में स्थान देंगे तो ये नुकसान करती हैं. इनकी जगह पर काली या सफ़ेद मिर्च का उपयोग ज्यादा बेहतर रहता है.

मिर्च के और भी गुण और उपयोग हो सकते हैं पर फ़िलहाल तो मेरे दिमाग में ये बातें ही आयी हैं और मैने अपने दिमाग से निकल बाहर की हैं.

22 टिप्‍पणियां:

  1. विचार शून्य जी,

    आप तो मिर्ची बुरक के अन्त में विचार शून्य हो गये,लेकिन हम तो शौकिन है मिर्ची के, आपकी तरह हम भी यदा कदा हरी मिर्ची का प्रयोग कर लेते है।
    एक बार तो हरी चटनी बची थी तो चावल में मिलाकर जो ग्रीन पुलाव बना कि मजा आ गया। लेकिन सच कहूं, फ़िर काफ़ी बार प्रयास किया पर वह स्वाद फ़िर नहिं आया। :)

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  2. ज़िन्दगी का मज़ा तो तीखे में ही है ..............पाण्डेय जी !

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  3. अरे ये क्या ... वेल कुक्ड पोस्ट :)

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  4. एक एफ़.एम. रेडियो भी है न, रेडियो मिर्ची के नाम से?
    मिर्ची के और प्रयोग करें आप लोग तो वो भी शेयर करियेगा, और गाना भी लगा देना था यार साथ में, "तुझ्को मिर्ची लगी तो मैं क्या करूँ?"
    मस्त पोस्ट, किसी बात को दिलचस्प अंदाज में पेश करने में मास्टर हो बंधु, लगे रहो।
    शुभकामनायें।

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  5. बहुत मिर्च मसाले वाली पोस्ट ...जानकारी बढ़िया है ..

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  6. एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
    आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !

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  7. भैया मिर्ची का नाम ही मत लो और वो भी हरी मिर्च का। एसिडिटी हो गयी है तो मिर्ची खाते ही मिर्ची लग जाती है पेट में। लौकी हमें भी बहुत पसन्‍द है लेकिन जब से इंजेक्‍शन की बात आयी है अपने तो होश उडे हुए हैं। आपकी पोस्‍ट पसन्‍द आयी।

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  8. अब आपने मिर्च की बात की है तो लीजिए एक जोक एक बार एक विदेशी भारतीय खाना खाया मिर्च वाला सुबह जब बाथरूम से हल्का हो कर निकला तो बोला की अब समझ में आया की लोग यहाँ पानी क्यों प्रयोग करते है क्योकि हमारी तरह कागज प्रयोग करते तो उसमे तो आग ही लग जाती |

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  9. हम तो लौकी की पूरी प्रजाति से ख़फा हैं..कारण कोई नहीं. बस ऐसे ही... लेकिन मिर्ची... मेरे पड़ोस में एक लड़की रहती है... कुछ लडके उसको देखकर कहते हैं – जबर्दस्त मिर्ची है. और कुछ कहते हैं – सो स्वीट!!... अब भैया इस बारे में क्या कहें!!

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  10. मिर्च के और भी गुण और उपयोग हो सकते हैं पर फ़िलहाल तो मेरे दिमाग में ....
    @ हाँ हैं तो, यदि विचारों का लगातार प्रवाह परेशानी का सबब बन जाए तब बस एक तीखी मिर्च खा लें. जो विचार शून्यता आयेगी किसी और उपाय से नहीं लायी जा सकती. यह एक नयी प्रकार की सिद्धावस्था होगी. हाथ-पाँव पटकते हुए, उछल-कूद करने वाली सिद्धावस्था.
    ------- एक मजेदार ज्ञानवर्धक पोस्ट.

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  11. बहुत अच्छी मिर्चमसालेदार जानकारी है !

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  12. teekhi teekhi post... :)
    acha laga pad kar..

    Meri Nayi Kavita aapke Comments ka intzar Kar Rahi hai.....

    A Silent Silence : Ye Kya Takdir Hai...

    Banned Area News : How to give your baby a good night sleep

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  13. .
    .
    .
    "मेरी समझ से मिर्च एक ऐसी चीज है जिसे जब हमारा शरीर ग्रहण करता है और जब त्यागता हैं तो दोनों ही वक्त इसका स्वाद हम पहचान लेते हैं।"

    हा हा हा हा, बढ़िया....:)

    वैसे गाना यह भी है...'तुझको मिर्ची लगी तो मैं क्या करूं?'
    दिल में भी मिर्ची लगती है।


    ...

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  14. खड़ी भाषा में कहूँ तो मिर्च के स्वाद को हमारे दोनों मुंह पहचान लेते हैं.

    हाहाहाहा हाहाहाहा ...........ई का लिखा है ... आक-थू

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  15. हाहाहाहा ..........का लिखा है ... आक-थू

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  16. बिन मिर्ची सब फ्लॉप
    मिर्ची लगे तो सुधरे...
    पोस्ट टिप्पणी और ब्लॉग ..

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  17. स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!

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