गुरुवार, 24 जून 2010

बहुत कुछ बस यूँ ही.

बहुत दिनों के बाद लिख रहा हूँ. लिखने का मन ही नहीं कर रहा था पर कुछ इतने रोचक मुद्दे उठे हैं की विवश होकर keypad ठोकना पड़ रहा है. वर्तमान का विवादित मुद्दा है पुरुष द्वारा स्त्रियों पर अत्याचार (नारीवादियों की दृष्टि में)

ये मेरा व्यक्तिगत अनुभव है की जो भी खुद को किसी वाद से जोड़ता है वो एकतरफा मानसिकता को अपना लेता है. जो नारीवादी है उसे सारे पुरुष शत्रु दिखाई पड़ते  हैं, जो समाजवादी है उसे सारे अमेरिकन व उनके सहयोगी शत्रु  जान पड़ते हैं और जो पूंजीवादी है उसे  सारे रुसी व उनके सहयोगी शत्रु दिखाई देते हैं.  ये सब हम भावुकता और अंध भक्ति में पड़ कर करते हैं. भावुकता इन्सान को इन्सान नहीं रहने देती बल्कि  एक मुर्ख   बना  देती है. भावुक  व्यक्ति  अपनी  बुराई और दुसरे की अच्छाई कभी नहीं देख पाता. उसकी  आँखों पर पर्दा पड़ा रहता है और जब भी ज्ञान का प्रकाश उस तक पहुचता है तो बेचारा आपने कमरे के सारे खिड़की दरवाजों पर कीलें ठोक देता है और सोचता है की वो जीत गया.

अमित जी ने कुछ नारीवादियों के विचारों का प्रतिकार करते हुए एक लेख लिखा. लेख पढ़कर मेरा मन प्रसन्न हो गया क्योंकि उन्होंने नारीवादी मानसिकता के विरूद्ध जो कुछ भी लिखा था वो सब मेरे आपने मन की बात थी जो मैं शालीनता से कभी भी सबके सामने प्रकट नहीं कर पाया. असल में मैं खुद को एक टीन की तरह मानता हूँ जो जल्दी गर्म हो जाता है और फिर जल्दी से ही ठंडा भी हो जाता है और जिस पर चोट की जाये तो कर्कश आवाज होती है पर अमित एक ठोस लोह पिंड है जिस पर विरोधी विचारों की चोट होती है तो मधुर ध्वनि  निकलती  है जिसको वेद कुरान के जनाब अनवर ने सुना और पसंद किया, मैं हमेशा से पसंद करता आया हूँ और दूसरों को भी ये संगीत पसंद ही आया.

कभी सोचा ना था की कुछ लोगों को ये ध्वनि इतनी नापसंद होगी की वो आपने दिलो दिमाग के किवाड़ बंद कर बैठ जायेंगे.  जरा spider man-III फिल्म के खलनायक उस दुसरे गृह से आए जीव को याद करें जो हमारे प्यारे spider man को venom में बदल कर उसकी दोस्ताना  मानसिकता पर आक्रामक असर डालता है पर जिसे मंदिर में लगे घंटे के नाद से तकलीफ होती है.


लगता है हमारे कुछ अच्छे लोगों पर ऐसी ही किसी नकलची विदेशी सोच का असर है जिसके कारण वो एक सही तरीके से रखी बात को भी पचा नहीं पा रहे. 

ऐसा ही कुछ बर्ताव तारकेश्वर गिरी जी के लेख के साथ भी हुआ . उन्होंने सारा लेख बढ़िया लिखा बस एक जगह वो पश्चिमी समाज में अक्सर होने वाली घटना को हमेशा  होने वाली घटना बना गए. बस हो गया सारे लेख का गुड गोबर. इस एक लाइन को लेकर कई लोगों ने अपना विरोध दर्ज कराया. मैं समझता हूँ तारकेश्वर गिरी साहब भावुक रूप से एक सम्हले हुए इन्सान हैं,  और बचकानी सोच नहीं रखते  अतः वो आपने ब्लॉग से किसी को भी प्रतिबंधित नहीं करेंगे. गिरी साहब अपनी आलोचना को अपना अपमान नहीं समझेंगे और अपने विचारों से हमें यूं अवगत करते रहेंगे.

आपको मेरी बाते बुरी लगें तो जमकर विरोध करें. मैं ये मानता हूँ की कोई भी हमेशा सही या हमेशा गलत नहीं होता. आपसे छोटी उम्र का व्यक्ति(जैसे २७ वर्षीय अमित)  भी आपको सही राह दिखा सकता है. मैं खुला दिमाग रखता हूँ और सही बात का हमेशा स्वागत करूँगा.

9 टिप्‍पणियां:

  1. Naree pe hone wale atyacharon ke liye kewal purush zimmedaar naheen...naariyaan bhi hain..waise mujhe 'naariwaad' yah shabd hee galat lagta hai..iske badle ' humanism' as against 'feminism' behtar lagta hai. Jo bhi kamzor hota hai,wo atychaar ka bali ho jata hai.

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  2. विचारीजी लौह का पींड बतादिये हो!!!!!! क्या बिगड़ता सोने चाँदी का ही बता दिया होता तो पत्नीजी के गहने बनवाने के ही काम आ जाता :-))))

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  3. @ "क्षमा" जी क्षमा चाहता हूँ और आपको "शमां" नाम से संबोधित करना चाहता हूँ . और इस भेड़चाली अंधियारे में निष्पक्षता की रौशनी फ़ैलाने के लिए धन्यवाद देता हूँ. किसीका भी इस बात से इंकार नहीं है की महिलाओं की स्थिति चिंताजनक है पर इसके लिए "केवल पुरुष ही जिम्मेदार" वाली मानसिकता अघात पहुँचाने वाली होती है जो की अत्याचार की श्रेणी में ही है.

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  4. agar aap ne amit ki post padhii haen to kripa kar dhyaan dae ki amit ki kisi bhi baat par koi kament nahin hua haen jis par vivaad hua ho
    baat thee us kament ki jo arvind mishra ne har mahila ko jo blog liktee haen par kataaksh kartey huae genral summerization diyaa thaa

    aashcharya haen ki aap bhi muddae ko nahin pakad sakey

    yaa sambhav haen muddae ko bhatkaa kar kahin sae kahin lae jaana hi hindi bloging ki niyati haen

    ek aagrah haen , amit ki teeno post padhiyae aur kament daekhiyae phir sae please taaki aap is post mae update kae zariyae mudda sahi kar sakey

    aur aap ne hi kehaa haen amit kae blog par jeet satya ki hotee haen so jaraa saarey kemnts ko silsilaewaar padhiaye aur bataiyae vivaad kyun hua

    waese aap ne to yae bhi likha haen ki blog band karna emotinal atyachar thaa kamal hae naa haamri cheez raktey haen to atyachar , mitaatey haen to atyachaar

    haa arvind mishra kae kament par aap ne koi raay nahi dee ??

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  5. राम राम जी,

    कुछ समझ नहीं आया....पिछले कई दिनों से ब्लॉग को बस टुकड़ो में ही पढ़ पा रहा हूँ!जो कड़ियाँ छूट गयी है शायद उनमे कुछ खतरनाक हो गया है...

    लेकिन आज यहाँ जो कुछ पढ़ा उस से जो उलझन है वो ये कि टिप्पणी किसी ओर कि की विवादित थी,ब्लॉग किसी ओर का प्रतिबंधित हो गया या कर दिया गया....

    अब हमें भी कोई समझाए तो सही....

    कुंवर जी,

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  6. सही राह दिखाते जाइए। शायद कभी हम भी सही राह चल ही पड़ें।
    घुघूती बासूती

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  7. baaki to sab theek hai, par bandhu bina bhaav ke jeena kaisa? kuchh professions men bhaavheen hona hi padhta hai, lekin ham har samay professional hi to nahin hote. haan excessive feelings to galat ho sakti hain, to ati har cheej ki brui hoti hi hai.
    soch dekhna hamari baat par bhi, itne kathor hiriday na bano.

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  8. आपको आभार आपके लेख को पढ़ कर ही अमित जी के ब्लॉग पर गया और उनके विचार पढ़े !

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  9. @जो नारीवादी है उसे सारे पुरुष शत्रु दिखाई पड़ते हैं, जो समाजवादी है उसे सारे अमेरिकन व उनके सहयोगी शत्रु जान पड़ते हैं और जो पूंजीवादी है उसे सारे रुसी व उनके सहयोगी शत्रु दिखाई देते हैं

    @अमित एक ठोस लोह पिंड है जिस पर विरोधी विचारों की चोट होती है तो मधुर ध्वनि निकलती है

    बिलकुल सही लिखा है

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