मैं जब गाँव जा रहा था तब मैंने अपने ब्लॉग की सेटिंग्स से कुछ छेड़खानी कर दी थी. ये छेड़खानी शब्द ही मुझे अनुकूल नहीं बैठता. जब भी किसी से छेड़खानी की तो पकड़ा गया और मार खायी. ब्लॉग में की गयी छेड़खानी असल में छेड़खानी ना होकर सिर्फ fingering थी. (fingering शब्द को हिंदी में ही समझिएगा). तो जनाब इस fingering का खामियाजा भी भुगतना पड़ा.
मेरी दोनों पोस्ट टिप्पणी बिना एक विधवा की मांग की तरह सूनी पड़ी रही. (डायलोग कैसा लगा?)
मुझे मालूम नहीं की अब आगे क्या होगा पर टिपण्णी की माया पर विचार करने का एक मौका मुझे भी मिला है. ये टिप्पणिया जो हमें अपने लेख लिखने के बाद मिलती हैं इन्हें हमें किस रूप में लेना चाहिए? क्यां इन्हें अपने लेखन का प्रसाद मानना चाहिए या अपनी पोस्ट की संताने. इन्हें क्या समझे? कहते हैं की प्रसाद तो उतना ही होता है जो सिर्फ गले तक जाये पर टिप्पणिया तो पेट भर जाने के बाद भी मिलती रहें तो भी हम ना नहीं कहते. और अगर इन्हें संताने समझे तो आधुनिकता कहती है की संताने दो से ज्यादा नहीं होनी चाहिए और अगर किसी लेख पर सिर्फ दो टिप्पणिया मिले तो मेरे जैसा पुरुष तो आत्महत्या ही कर ले. ( सिर्फ दो टिप्पणियों से अपना पौरुष दिखाने का मौका कहाँ मिलेगा).
चलो चलने दो जैसा भी है.
टिप्पणियों के आभाव में बहुत से लेख अपना दम और लेखक अपनी कलम तोड़ देते हैं. मैंने बहुत से ब्लॉग लेखकों को टिपण्णी ना मिलाने का रोना रोते देखा है. तब मुझे लगता था की इस टिपण्णी बॉक्स को ही हटा दो तो ना रहेगा बांस और ना बजेगी बांसुरी पर अब थोडा गहराई से सोचा तो ध्यान आया की जब मैं खुद किसी का लेख पढता हूँ और उस पर प्रतिक्रिया देना चाहता हूँ तो उस वक्त अगर टिपण्णी बॉक्स ना मिले तो कैसा लगेगा. बुरा लगेगा ना ! ये जो टिपण्णी बॉक्स है ये ब्लॉग लेखक और उसके पाठक के बीच संवाद का एक जरिया है. ये संवाद ख़त्म नहीं होना चाहिए. मेरे सारे ब्लॉग मित्र इसी टिपण्णी बॉक्स की देन हैं.
तो अब मैं दोनों हाथ जोड़कर टिपण्णी बॉक्स से प्रार्थना करता हूँ की हे टिपण्णी बॉक्स इस लेख के साथ तुम वापस आ जाओ. मैं अब आगे से कोई छेड़खानी या fingering नहीं करूँगा.
कान पकड़ता हूँ. मान जाओ यार.
थारी दर्खास्त मन्ज़ूर हो ली जी. जे लो पह्ली टिप्पणी.
जवाब देंहटाएंदेर आमद पर दुरुस्त आमद !
जवाब देंहटाएंमैंने आपको एक ईमेल भी किया था इसी विषय पर! पर उतर नहीं मिला ! चलिए आज समस्या का समाधान ही हो गया!
आपकी गाँव यात्रा के चित्र देखे .................बहुत ही बढ़िया है सब के सब ! बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंविचारणीय प्रस्तुती ,दरअसल सार्थक और विषय वस्तु को और ज्यादा परिभाषित करती टिप्पणियां बहुत ही महत्वपूर्ण है ना सिर्फ ब्लॉग लेखक के लिए बल्कि सभी पढने वाले ब्लोगरों के लिए भी ...
जवाब देंहटाएंबहुत बधाई .. किसी पोस्ट में टिप्पणी नहीं आए .. तो अपने विचारों के प्रति विश्वास डिग जाता है !!
जवाब देंहटाएंआईये जानें .... क्या हम मन के गुलाम हैं!
जवाब देंहटाएंgaavan kee sair sundar lagi....chitay ka mandir ...great !!nostalgic
जवाब देंहटाएंHaan..pahle ke do post par mai comment nahi kar payi thi..!
जवाब देंहटाएंDuhan ki maang me sindoor bhar gaya.
सार्थक पोस्ट
जवाब देंहटाएंडायलोग और पोस्ट दोनों अच्छे लगे .....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
एक डायलोग मेरा भी गौर फरमाएं
जवाब देंहटाएंकैसे रहे मकान मालिक रेंट के बिना ???
तड़पता रहे ब्लोगर कमेन्ट के बिना.....
कैसे जले लट्टू करेंट के बिना ????
दिमाग काम नहीं करता कमेन्ट के बिना ....
thank god aapka tippani box aa gaya...mail bhi ki thi aapko...
जवाब देंहटाएंवाह रे ब्लोग की दुनिया। चमत्कार है। फ़िन्गरिन्ग वही करते हैं जो इस कला मे माहिर हैं। पता नही क्या मिलता है उन्हे। चलिये आपका टिप्पणी वाला सन्दूक आ गया। अभी तो हमारे सन्दूक का ठिकाना ही नही है।
जवाब देंहटाएंfiingering karna band kariye sab thik ho jayega ;)
जवाब देंहटाएंबन्धु, परेशान तो हम भी हो गये थे, लगा था कि ये भी चढ़ गए टंकी पर जो टिप्पणी बाक्स हटा दिया है। मेल भी किया, लेकिन जवाब नहीं मिला। फ़िर सोचा कि नाराज हैं जनाब कुछ।
जवाब देंहटाएंभैया फ़िंगरिंग से ऐसा भी मत डरो, सबक मिलता है कुछ न कुछ।
और ये अच्छा किया तुमने कि हमें न्यौता देकर खुद चले गये पहाड़ पर।
मुलाकात नहीं हो पाई तुमसे।
स्वागत है दोबारा से।
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जवाब देंहटाएंyeh lo टिप्पणी
good to have a post where i can mark my presence !!!!!!!!!!!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंमै तो समझा था की गाँव जाने के बाद पीछे से पोस्टों पे उलट-सुलट टिपण्णी आने और उनपर कोई बबाल ना खड़ा हो जाये, इसलिए आप खुद ही ये बांस उखाड़ गए होंगे.
जवाब देंहटाएंबाकि आपके स्वर्गवास काल की स्मृतियाँ इस कदर लुभा रही है की, सदा के लिए स्वर्गवासी बनने की इच्छा हो रही है.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएं"Bikhare Sitare' blog pe aapka ek sawaal: Kya yah sachmuch kee jeevan hai?
जवाब देंहटाएंji,yah kahani nahi hai,jeevani hai!
Gar aap iski ekdam shuruati kadiyan dekhen,to mukhy kirdaar,Pooja,tatha,uske pariwar ki chand tsveeren bhi hain.
http://www.fnur.bu.edu.eg/
जवाब देंहटाएंhttp://www.fnur.bu.edu.eg/fnur/
http://www.fnur.bu.edu.eg/fnur/index.php/departements
http://www.fnur.bu.edu.eg/fnur/index.php/medical-surgical
http://www.fnur.bu.edu.eg/fnur/index.php/community-health
http://www.fnur.bu.edu.eg/fnur/index.php/nursing-administration
http://www.fnur.bu.edu.eg/fnur/index.php/mother-health-obstetrics
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http://www.fnur.bu.edu.eg/fnur/index.php/dean-word
http://www.fnur.bu.edu.eg/fnur/index.php/about-faculty
http://www.fnur.bu.edu.eg/fnur/index.php/about-faculty/tip
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http://www.fnur.bu.edu.eg/fnur/index.php/about-faculty/previous-deans
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http://www.fnur.bu.edu.eg/fnur/index.php/about-faculty/faculty-deps
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