नर्सिंग एक महिला प्रधान
पेशा है। पुरुष भी नर्स बन सकते हैं ये बात मुझे पता थी पर अभी तक मैंने
किसी पुरुष को नर्स का कार्य करते हुए देखा नहीं था। पिछले कुछ दिन मेरे
बच्चे डेंगू की वजह से दिल्ली के एक सरकारी बाल चिकित्सालय में भर्ती थे।
वहां मैंने पहली बार किसी पुरुष को नर्स के रूप में कार्य करते हुए देखा।
दो युवक मेडीसिन वार्ड में नर्स के तौर पर कार्यरत थे। मैं दोनों के ही
कार्य से बहुत प्रभावित हुआ। उनका संयम, धेर्य और बाल मरीजों से बात करने
का तरीका काबिले तारीफ था। आम तौर पर सरकारी अस्पतालों में कार्यरत नर्सें
अपने कार्य के प्रति बेहद असंवेदनशील होती हैं।इसके विपरीत ये दोने युवक
अपने कार्य को बेहद संजीदगी से कर रहे थे।
आम धारणा यह है की मरीजों की सेवा का कार्य स्त्रियाँ पुरुषों से
ज्यादा अच्छे ढंग से कर सकती हैं पर सरकारी अस्पतालों में अभी तक मैंने
जितनी भी महिला नर्स देखी हैं उनमे से 99 प्रतिशत नर्सों को मैंने अशिष्ट,
कामचोर व चिडचिडा पाया। नर्सिंग स्कुल से निकलते वक्त मरीजों की सेवा का जो
व्रत वो लेती हैं सरकारी सेवा में आने के उपरांत उसे वो सबसे पहले भुला
देती हैं। अपने कार्य के प्रति उनका रवैया बेहद मशीनी रहता है
और मरीजों के प्रति उनका व्यवहा
र बहुत ही गैरजिम्मेदाराना होता है।
दिल्ली के जी टी बी हॉस्पिटल में अपने कार्यकाल के दौरान मैंने एक नर्स से
इस बारे में सवाल किया तो उन्होंने कहा था की अगर पुरुष ये कार्य करें तो
उनका व्यव्हार और भी ख़राब होगा। पुरुष नर्सों के साथ मेरा पहला अनुभव तो
अच्छा रहा है और मैं तो चाहूँगा की ज्यादा से ज्यादा पुरुष नर्सिंग की
कार्य को अपनाएं ताकि आम लोगों की ये भ्रान्ति दूर हो की मरीजों की देखभाल
करने जैसे संवेदनशील और भावनात्मक कार्यों पर स्त्रियों का एकाधिकार है।
हालाकिं ये कहा जा सकता है की सिर्फ दो पुरुष नर्सों के साथ हुए अपने अनुभव
के आधार पर यह कहना की पुरुष स्त्रियों से बेहतर नर्स हो सकते हैं एक
जल्दबाजी होगी पर फिर भी महिलओं से भरे एक सेक्शन की पुरे एक वर्ष तक
अगुवाई करने के अनुभव से पैदा हुयी समझ से मैं पुरे भरोसे के साथ कह सकता
हूँ की पुरुष नर्सिंग के कार्य में स्त्रियों से कभी भी कमतर नहीं होंगे।
पिछले वर्ष अगस्त में मैंने भारत सरकार के एक मंत्रालय के प्रधान लेखा कार्यालय के लेखा विभाग की कमान सम्हाली। मेरे विभाग में एक पुरुष व चार महिलाएं कार्यरत थी। सांकेतिक रूप से आप उन्हें मिसेज मल्होत्रा,मिसेज खन्ना, मिसेज टुटेजा और मिसेज तनेजा पुकार सकते हैं। कहने को तो मैं विभागीय अधिकारी था पर सभी महिलाएं उम्र व तनख्वाह में मुझ से कहीं आगे थी। वर्ष भर मैं इन चारों महिलाओं की आपसी प्रतिस्प्रधा का मूक गवाह बना रहा। प्रतिस्पर्धा अपने कार्य को बेहतरी से करने की नहीं थी। प्रतिस्पर्धा थी ज्यादा से ज्यादा छुटियाँ लेने, काम पर देरी से आने और जल्दी जाने तथा अपना कार्य दूसरों पर थोपने की। पुरे वर्ष अपने विभागीय कार्यों को समय पर पूरा करवाने के दबाव व तनाव ने मुझे किसी दूसरी चीज पर ध्यान देने का मौका ही नहीं दिया। अंततः एक सच्चे निडर पुरुष की तरह मैंने रण छोड़ने का निर्णय लिया और अपने विभाग की कमान एक दूसरी महिला अधिकारी को सौप कर ऑडिट विभाग में भाग खड़ा हुआ। अब चूँकि ऑडिट विभाग में बार बार देश के विभिन्न हिस्सों में ऑडिट ले लिए जाना पड़ता है इसलिए कोई भी महिला इस विभाग में नहीं है। यहाँ आने के बाद मैं तनाव मुक्त हूँ।
अपने अनुभव के आधार पर मैं कह सकता हूँ की सरकारी महिला कर्मचारी आफिस चाहे वो नर्सें हो या फिर कुछ और पुरुष कर्मचारियों के मुकाबले कुछ भी कार्य नहीं करती। वैसे सरकारी कर्मचारी कार्य कितना करते हैं यह सब को पता है।
पिछले वर्ष अगस्त में मैंने भारत सरकार के एक मंत्रालय के प्रधान लेखा कार्यालय के लेखा विभाग की कमान सम्हाली। मेरे विभाग में एक पुरुष व चार महिलाएं कार्यरत थी। सांकेतिक रूप से आप उन्हें मिसेज मल्होत्रा,मिसेज खन्ना, मिसेज टुटेजा और मिसेज तनेजा पुकार सकते हैं। कहने को तो मैं विभागीय अधिकारी था पर सभी महिलाएं उम्र व तनख्वाह में मुझ से कहीं आगे थी। वर्ष भर मैं इन चारों महिलाओं की आपसी प्रतिस्प्रधा का मूक गवाह बना रहा। प्रतिस्पर्धा अपने कार्य को बेहतरी से करने की नहीं थी। प्रतिस्पर्धा थी ज्यादा से ज्यादा छुटियाँ लेने, काम पर देरी से आने और जल्दी जाने तथा अपना कार्य दूसरों पर थोपने की। पुरे वर्ष अपने विभागीय कार्यों को समय पर पूरा करवाने के दबाव व तनाव ने मुझे किसी दूसरी चीज पर ध्यान देने का मौका ही नहीं दिया। अंततः एक सच्चे निडर पुरुष की तरह मैंने रण छोड़ने का निर्णय लिया और अपने विभाग की कमान एक दूसरी महिला अधिकारी को सौप कर ऑडिट विभाग में भाग खड़ा हुआ। अब चूँकि ऑडिट विभाग में बार बार देश के विभिन्न हिस्सों में ऑडिट ले लिए जाना पड़ता है इसलिए कोई भी महिला इस विभाग में नहीं है। यहाँ आने के बाद मैं तनाव मुक्त हूँ।
अपने अनुभव के आधार पर मैं कह सकता हूँ की सरकारी महिला कर्मचारी आफिस चाहे वो नर्सें हो या फिर कुछ और पुरुष कर्मचारियों के मुकाबले कुछ भी कार्य नहीं करती। वैसे सरकारी कर्मचारी कार्य कितना करते हैं यह सब को पता है।
पुरुष नर्स कुछ वर्ष पहले पहली बार भर्ती किये गए थे. ज्यादातर राजस्थान के रहने वाले हैं . शायद वहां किसी नर्सिंग कॉलेज में पुरुषों को भी दाखिला मिलता होगा . लेकिन ऐसा नहीं है की स्त्री पुरुष नर्सों में कोई विशेष अंतर होता है . यह व्यक्ति विशेष पर ज्यादा निर्भर होता है . मेल नर्स की भी शिकायत आती रहती हैं . हालाँकि ऑफिस में महिला क्लर्क से हम भी बहुत परेशान रहे थे. काम करके ही नहीं देती थी.
जवाब देंहटाएंDr, Daral has commented very nicely about a woman clerk. Such attitudes individual attitudes, whether man or woman, as I opine. So far the concept of male nurse is concerned, there were male nurses in medical departments as back as in 1960. Now this practice is rare and least males come forward to join this noble profession. Govt. as well as Private Sector's Hospitals should think over this matter to make the nursing services more practical. It gives us a sense of going together and breaks a monopoly too.
हटाएंआपका स्वागत है ! आशा है बच्चे स्वस्थ और सानंद होंगे !
जवाब देंहटाएंआलेख पर टिप्पणी बाद में !
जवाब देंहटाएंब्लॉग अपडेट हुआ देखकर खुशी हुई, दिख रहा है कि जीवन में काफ़ी कुछ परिवर्तन आ गये हैं लेकिन बच्चों के अभी के हाल के बारे में भी बताना चाहिये था न?
फ़िलहाल एक जानकारी और देना कि यह पुरुष नर्स सर्विस में कितने समय से हैं। मेरी समझ में नौकरी करते हुये कितना समय हुआ है और नियुक्ति किस प्रकार की है, मेरा मतलब कांट्रैक्ट बेस्ड है या सरकारी तरीके वाली परमानेंट, इस से भी कार्यशैली पर असर पड़ता है।
फ़िर आऊँगा और उम्मीद है कि बार बार आना होगा, प्लीज़ बियर।
I think concept of male nurses is as old as English medical profession is. I have personally seen male nurses of 1960's in Govt. service.
हटाएंइससे पहली पोस्ट भी काफी बढिया थी । पर टिप्पणी इस पर दे रहा हूं । हमारे यहां अभिषेक बच्चन को एक हालिया फिल्म में नर्स बने देखकर लोगो को पता चला
जवाब देंहटाएंbahut behtar yaane yatharth charitr chtran .
जवाब देंहटाएंnurse to nurse hoti hai chahe mahila ho ya purush ,koi antar nahi hona chahiye
जवाब देंहटाएंgreat article that adds to my knowledge of nursing credit Pakar Seo
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