tag:blogger.com,1999:blog-2419007131331261482.post7730178259561947614..comments2023-10-31T18:36:02.752+05:30Comments on विचार शून्य: समान विचारों का अन्तःप्रजनन खतरनाक हैVICHAAR SHOONYAhttp://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comBlogger43125tag:blogger.com,1999:blog-2419007131331261482.post-33375124296189274612012-05-14T16:37:35.887+05:302012-05-14T16:37:35.887+05:30With Microsoft office 2010, you can get things don...With <a href="http://www.discount-softwarestore.com" rel="nofollow">Microsoft office 2010</a>, you can get things done more easily, from more locations and more devices.Track and highlight important trends with data analysis and visualization features in <a href="http://www.discount-softwarestore.com/microsoft-office-2010-c-10.html" rel="nofollow">office 2010</a> Excelnew outlookhttps://www.blogger.com/profile/10012209104885473590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2419007131331261482.post-22974603620387772062012-05-07T20:29:45.597+05:302012-05-07T20:29:45.597+05:30कल 08/05/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल (व...<i><b> कल 08/05/2012 को आपकी यह पोस्ट <a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.in" rel="nofollow"> नयी पुरानी हलचल (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) </a> पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .<br />धन्यवाद! </b></i>Yashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2419007131331261482.post-72671180110831725032012-02-09T14:13:15.478+05:302012-02-09T14:13:15.478+05:30mujhe apka blog n uske vichar auraton ke prati bah...mujhe apka blog n uske vichar auraton ke prati bahut achche lageProf.kamala Astro-Fengshui Vastu and Metaphysicshttps://www.blogger.com/profile/00521341609068732826noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2419007131331261482.post-79851727304543597822011-06-18T12:27:11.281+05:302011-06-18T12:27:11.281+05:30ये पोस्ट मेरे लिए संग्रहणीय है
http://indianwoma...ये पोस्ट मेरे लिए संग्रहणीय है <br /><br />http://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2011/06/blog-post_17.htmlएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2419007131331261482.post-43302609712933579852011-06-11T13:00:31.328+05:302011-06-11T13:00:31.328+05:30जिस किसी का भी ह्रदय दुखी हुआ हो ..(उदेश्य कभी ये ...जिस किसी का भी ह्रदय दुखी हुआ हो ..(उदेश्य कभी ये नहीं था).... क्षमा कर दें ...(क्षमा की वजह सिर्फ इतनी ही है की किसी को दुःख या परेशानी हुई)एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2419007131331261482.post-32594465059263619872011-06-11T12:36:30.077+05:302011-06-11T12:36:30.077+05:30एक बात दिल से बोलूं ...........आप लोगों को नाराजगी...एक बात दिल से बोलूं ...........आप लोगों को नाराजगी से भी मेरा ही सुकून छिना जाता है ..नुकसान दोनों और से मेरा ही है ...इस बात समझ पाना मुश्किल है.....एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2419007131331261482.post-34548068920930364862011-06-10T21:19:16.934+05:302011-06-10T21:19:16.934+05:30पाण्डेय जी को अपने ही ब्लॉग पर हुयी असुविधा के लिए...पाण्डेय जी को अपने ही ब्लॉग पर हुयी असुविधा के लिए हमेशा खेद रहेगा .....उम्मीद है अब बात को आगे नहीं बढ़ाया जायेगाएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2419007131331261482.post-9694233161590621942011-06-10T21:10:15.656+05:302011-06-10T21:10:15.656+05:30नए ब्लोगर्स के लिए एक लास्ट फंडा है .................नए ब्लोगर्स के लिए एक लास्ट फंडा है ...............ये भी आब्जर्वेशन है................ पोलिसियाँ तोड़ो तो इतनी जम के और आत्मविश्वास के साथ की ना तो कोई काउन्ट कर पाए ना कुछ कह पाए , तभी आपकी आपत्ति में कुछ वजन आएगा :))<br />...... अब रह गया "नियमितता" फेक्टर मैं तो उस मामले में भी बहुत पीछे ही हूँ ........ मुझे बड़ा अजीब लग रहा है ...........खैर ....... मैं ये तो कहूँगा की एडमिनिस्ट्रेटर से कुछ भी कहना तब ही सही होता जब कमेन्ट कोई बेनामी कमेन्ट होता या गलत भाषा में होता , कमेन्ट कर्ता (जिसके कमेन्ट पर आपत्ति की गयी है ) के खुद के समझने की ही बात है की "ये इंडिया है यहाँ ऐसा ही चलता है और चलता रहेगा" , और <b> वो कमेन्ट कर्ता अब ब्लोग्स पढ़ना ही बंद करेगा , क्योंकि पढ़ेगा तो बोलेगा जरूर </b>..................अब अनुरोध है इस बात को यहीं समाप्त करेंएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2419007131331261482.post-53343511799171437032011-06-10T20:56:49.488+05:302011-06-10T20:56:49.488+05:30वैसे तो कहने के लिए बहुत कुछ है .....पर अँधेरे में...वैसे तो कहने के लिए बहुत कुछ है .....पर अँधेरे में लाईट जलाने का कोई फायदा नहीं है <br /><br />फिर भी एक नया ओब्जेर्वेशन :<br />वो करे तो चुहल ...............मैं करूँ तो व्यक्तिगत कमेन्ट की पहल<br />वो लिखे तो धारदार लेखनी , पैना ओबजर्वेशन , बिना लाग लपेट के कही बात ..........मैं बोलूं तो उबल पड़े जज्बात<br /> वो बोले तो महंगी आपत्ति , ...................मैं करूँ तो "केवल आलोचना " वो भी सस्तीएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2419007131331261482.post-43840990338492729732011-06-10T17:54:23.644+05:302011-06-10T17:54:23.644+05:30पाण्डेय जी, अपना भी जिक्र हो ही गया यारों की महफ़ि...पाण्डेय जी, अपना भी जिक्र हो ही गया यारों की महफ़िल में:)<br />मैं आभारी हूँ कि गिरिजेश जी के ब्लॉग पर मेरे कमेंट से आपको कोई परेशानी नहीं हुई, लेकिन इतना तय है कि अगर आपको या किसी को मेरे कमेंट से कोई परेशानी होती और इसका जिक्र कर दिया जाता तो मैं इस बात को भविष्य के लिये नोट करता। इसलिये, कभी दिक्कत महसूस हो तो बता देना क्योंकि मैं भी लोगों के मन में छिपी बातों को नहीं पढ़ पाता।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2419007131331261482.post-10245781489891576732011-06-10T09:39:01.723+05:302011-06-10T09:39:01.723+05:30विचार शून्य जी
ये संवाद केवल आप तक सिमित हैं उत्तर...विचार शून्य जी<br />ये संवाद केवल आप तक सिमित हैं उत्तर भी आप से ही अपेक्षित हैं<br />मेरा मानना हैं की हर ब्लॉग मालिक को अधिकार हैं की वो अपने ब्लॉग पर अपनी नीति रखे . सब के अपने अपने "नियमित " पाठक और टिप्पणीकार हैं . समस्या तब उत्पन्न होती हैं जब किसी ब्लॉग के नियमित , अपने को मित्र कहने वाले टिप्पणीकार दूसरे टिपण्णी कारो पर tangential टिपण्णी करते हैं . टिपण्णी अगर विषय से जुड़ी हो तो भी ठीक हैं लेकिन आप के ब्लॉग की पिछली कई पोस्ट पर नारी ब्लॉग और मुझे लेकर काफी बाते कही गयी हैं बिना नाम लिये जिसको आप ने मौन सहमति दी हैं . जबकि एक बार आप खुद अजय झा के ब्लॉग पर कह चुके हैं की "नाम ले कर बात कहना चाहिये " . हर एक को बहस में अधिकार हैं बोलने का विचार रखने का लेकिन किसी पर तन्जेंशियल टिप्पणी करने से आप बहस की पूरी अस्मिता को ही नष्ट कर देते हैं<br />आप के ब्लॉग पर विविधता हैं इस लिये आती हूँ आगे से पढना जारी रहेगा टिपण्णी देने की बात पर सोचुगी जरुर क्युकी इस पोस्ट पर आये कमेन्ट मे भी वही दिख रहा हैं जो मैने ऊपर कहारचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2419007131331261482.post-28537615205159350892011-06-09T23:24:47.600+05:302011-06-09T23:24:47.600+05:30@अंशुमाला जी मैंने अपनी पिछली पोस्ट से ही किसी भी ...@अंशुमाला जी मैंने अपनी पिछली पोस्ट से ही किसी भी टिपण्णी का जवाब पोस्ट में ही शामिल करना शुरू किया है. बहुत सी वजहों से मुझे ऐसा करना बेहतर लग रहा है. वजहें छोटी छोटी हैं. कभी मौका लगा तो विस्तार से लिख दूंगा. <br /><br /><br />अंशुमाला जी मैंने ऊपर भी यही बात कही है की मैं भविष्य में इस बात का पूरा ध्यान रखूँगा की अगर किसी टिप्पणी में मुझसे कोई प्रश्न किया जाता है तो मैं उसका उत्तर जरुर दूँ. परन्तु अगर कोई दूसरा व्यक्ति भी अपनी ओर से उस टिपण्णी पर कुछ कहना चाहता है(चाहे कम शब्दों में कहे या फिर ज्यादा शब्दों में) तो मैं उसे रोकना ठीक नहीं समझता. मैंने खुद भी बहुत बार दुसरे लोगों के ब्लॉग पर जाकर किसी तीसरे की टिप्पणी का जवाब दिया है. ऐसे में अगर वो ब्लॉग मालिक मेरी टिप्पणी को रोक दे तो शायद मुझे भी अच्छा नहीं लगेगा. <br /><br /><br />ऐसा मुझे तो बड़ा स्वाभाविक सा लगता है की अगर हमें कहीं कोई बात अच्छी लगाती है तो हम उस बात का पक्ष लेते ही हैं. आपको एक उदहारण दे दूँ. वरिष्ठ ब्लॉगर गिरिजेश राव जी की बाबा रामदेव पर लिखी पोस्ट में मैंने उनके विचारों का विरोध किया.तो मेरी बातों का उत्तर राव साहब से पहले ही मो सम कौन के संजय जी ने दे दिया.मुझे इस बात से कोई परेशानी नहीं हुयी. हाँ अगर राव साहब ने कुछ नहीं कहा होता और मुझे उनके विचार ही जानने होते तो इस बात का आग्रह मैं वहीँ उस पोस्ट पर ही कर देता.VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2419007131331261482.post-70141555442121025152011-06-09T07:47:17.191+05:302011-06-09T07:47:17.191+05:30[सुधार]
व्यक्तिगत ब्लोग्स से ज्यादा ग्रुप ब्लोग्स...[सुधार]<br /><br />व्यक्तिगत ब्लोग्स से ज्यादा ग्रुप ब्लोग्स से उम्मीद रखते हैं की वो समान विचारों का अन्तः प्रजनन का ना होने देंएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2419007131331261482.post-12111955230407579362011-06-09T07:45:10.977+05:302011-06-09T07:45:10.977+05:30कोई यकीन करे ना करे
कुछ लोग .......
-------ब्लॉग ज...कोई यकीन करे ना करे<br />कुछ लोग .......<br />-------ब्लॉग जीवन की शुरुआत से ही चर्चा और इससे निकले निष्कर्ष को पाने के लिए ब्लोगिंग करते हैं/ रहेंगे ..... केवल कमेंट्स लेने देने के लिए नहीं (इनके ब्लॉग पर भी जाकर देखें तो यही पायेंगे )<br />------- अपने लिए कम संस्कृति व अन्य पक्षों के लिए ज्यादा तर्क करते हैं , और ये कोई बुरी बात नहीं<br />-------- विरोध वैचारिक ही करते हैं व्यक्ति का नहीं , वर्ना पंगा तो कितनों से ही हुआ होगा<br />------- व्यक्तिगत ब्लोग्स से ज्यादा ग्रुप ब्लोग्स उम्मीद रखते हैं की वो सामान विचारों का अन्तः प्रजनन का ना होने दें<br />-------अपने परम ब्लॉग मित्रों से एक-दो बार पंगे (हा हा हा ) ले चुके हैं और भविष्य में भी पंगे(हा हा हा ) लेते रहेंगे , लेकिन मित्रता हर दिन मजबूत हो रही है, पता नहीं क्यों ? :)<br /><br />और एक बात ... अगर देखा जाए तो कुछ लोग दिखने में किसी को बहुत बुरे लगते हों पर ध्यान से देखें तो ऐसा कुछ भी नहीं है ...... एक बार समझने की कोशिश तो करें ..बस यही अनुरोध है .. स्नेह ना पहले कभी कम हुआ था ना आगे कभी होगा .........बात फिर से यकीन पर आ टिकती है .एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2419007131331261482.post-34607992567118484222011-06-09T06:02:01.734+05:302011-06-09T06:02:01.734+05:30@ पाण्डेय जी
एक विकल्प और है .....
उस बन्दे के कम...@ पाण्डेय जी<br />एक विकल्प और है ..... <br />उस बन्दे के कमेन्ट स्पाम कर के बात ख़त्म कर सकते हैं, खुली सोच का भारतीय होगा तो बुरा नहीं मानेगा....... वैचारिक विरोध का (कहने वाले इसे व्यक्तिगत विरोध का नाम देते हैं) भी नहीं मानता होगा .....लेकिन हाँ ऐसे कमेंट्स मत हटाइएगा जो किसी की एक तरफ़ा जानकारी को पूर्ण बना रहें हों , मेरे पास मेरे कमेन्ट फौलाद का बनाने के लिए एक्स्ट्रा लाइन्स भी नहीं है जो बीच में डाल दूँ .. <br />सिर्फ एक विकल्प सुझाया है ..... मुझे किसी के व्यक्तिगत ब्लॉग पर अपनी पालिसी थोपना बड़ा अजीब लगता है .. अपने ब्लॉग की पालिसी मेन्टेन रहे वही बड़ी बात है .. उससे बड़ी बात है ब्लोगर से पहले इन इंसानी नजरिये से सोचना .. खैर लेक्चर ज्यादा ना हो जाये......... और हाँ मैं १ तो १ चेटिंग के लिए जी -मेल की दी सुविधाएं इस्तेमाल करता हूँ ब्लॉग की नहीं<br /><br />मैंने हमेशा यही चाहा है की एक हद एक बाद विवाद ना बढे .. कौन गलत कौन सही .. इस बात से फर्क क्या पड़ता है .. कभी कभी सच को भी टेम्परेरी हार का सामना करना पड़ता है<br /><br />आपको आप ही के ब्लॉग की एक पोस्ट याद होगी..... जिस पर कमेंट्स बंद थे ....उसमें ध्यान देने की बात ये हैं की एक बार वैचारिक मतभेद (विवाद नहीं) होने के बाद भी मैंने यही कोशिश की थी ..की कुछ ही तो ठीक ठाक ब्लोग्स और ब्लोगर्स हैं ....वो तो ऐसे विवादों से दूर ही रहें.. और ना ही मैं सभी "व्यक्ति विशेष विरोधी" पोस्ट्स पर मैं कभी जा कर समर्थन देता रहा ....<br /><br />अकसर होता ये हैं की हम जैसे होते हैं वैसा ही दूसरों को समझते हैं .. जैसे हम जानते हैं की हम नहीं सुधर सकते तो हम ये जरूर मानने लगते हैं "कोई भी नहीं सुधर सकता" वगैरह ..वगैरह.. वगैरह<br /><br />मल्टीपल कमेन्ट करना किसी किसी की आदत में शामिल होता है ......ये बात अलग है की कोई एक ब्लॉग पर कर देता है , कोई जगह जगह करता है (अब अपने पास इतने लेख पढने का समय नहीं है ).. उम्मीद है समाधान हुआ होगा ...एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2419007131331261482.post-4617067658960815042011-06-08T22:52:36.709+05:302011-06-08T22:52:36.709+05:30मैंने ये नहीं कहा है की कोई आप से बहस न करे या अपन...मैंने ये नहीं कहा है की कोई आप से बहस न करे या अपनी बात आप के ब्लॉग पर न रखे जीतनी चाहे टिप्पणिया आप को दे अपनी बात खुल कर रखे | मैंने ये कहा है की जब मै आप के ब्लॉग पर आप को टिप्पणी देती हूँ तो उसका कोई भी जवाब आप देंगे न की कोई और<br />@ हा किसी के बात पर एक टिप्पणी या कुछ शब्द कहना तो ठीक है पर किसी दुसरे के ब्लॉग पर खुदी जवाब देते जाना बहस करना मुझे निजी रूप से सही नहीं लगता है |<br /> मैंने साफ कहा है की यदि कोई किसी की टिप्पणी से असहमत है तो जरुर वो कह सकता है किन्तु बेमतल की अपनी व्यक्तिगत खीज न निकाले | विचार विमर्श दो चार टिप्पणियों तक ही सिमित होता है उसके बाद तो ज्यादातर वो बेमतलब बहस बन जाती है | फिर विद्वान् जनों को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए की क्या सामने वाला आप से किसी भी बात पर विचार विमर्श करना भी चाह रहा है की नहीं |<br /> वैसे मुझे तो ये बात भी थोड़ी अजीब लग रही है की आप ने मेरी टिप्पणी का जवाब एक टिप्पणी के रूप में न दे कर उसे पोस्ट में ही शामिल कर दिया | इसलिए पूछ रही हूँ की क्योकि मुझे भी लोगो के मन में छुपी बाते समझ नहीं आती है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2419007131331261482.post-83324439192625720422011-06-07T18:31:21.927+05:302011-06-07T18:31:21.927+05:30"एक से विचार रखने वाले लोगों के साथ रहने से व..."एक से विचार रखने वाले लोगों के साथ रहने से विचारों का अन्तःप्रजनन शुरू हो जाता है जो भविष्य के लिए खतरनाक हो सकता है."<br /><br />एकदम सत्य <br /><a href="http://vivj2000.blogspot.com/" rel="nofollow"><b> विवेक जैन </b><i>vivj2000.blogspot.com</i></a>Vivek Jainhttps://www.blogger.com/profile/06451362299284545765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2419007131331261482.post-46532876556422090142011-06-07T16:10:18.357+05:302011-06-07T16:10:18.357+05:30किन्तु कई बार ऐसी बातो के लिए ब्लॉग मालिक भी जिम्म...किन्तु कई बार ऐसी बातो के लिए ब्लॉग मालिक भी जिम्मेदार होते है | जैसे की आप, जब हम किसी के ब्लॉग पर जाते है तो हमारा प्रयास उस ब्लॉग मालिक से विचारो के आदान प्रदान का होता है किसी अन्य से नहीं किन्तु आप बल्ला घुमाने के बाद लगभग गायब हो जाते है और अपने रनर को रन लेने के लिए छोड़ देते है ये गलत बात है | यदि हमें किसी और से विचार करना है तो हम उसके ब्लॉग पर जायेंगे न की आप के ब्लॉग पर आयेंगे आप के ब्लॉग पर हम आप के विचार और आप की प्रति टिप्पणी जानना चाहेंगे अपनी टिप्पणी पर किसी और के नहीं | जब आप की जगह किसी और से जवाब मिलेगा और वो भी कभी कभी बेतुकी तो कभी अपमान जनक, तो कोई भी आप के ब्लॉग पर नकरात्मक क्या सकरात्मक बात भी लिखने से पहले सौ बार सोचेगा क्योकि हर किसी के पास इतना समय नहीं होता की वो बिना मतलब की कोई लम्बी बहस करे या अपना अपमान करवाए जब आप ये सब नहीं रोकते है तो ये माना जाता है की इन सब में आप की मौन सहमती है | आप बिना कोई प्रति टिप्पणी किये गलत बात के भागीदार बन जाते है | मैंने अपने ब्लॉग पर भी कुछ लोगो को मना किया था की मेरे ब्लॉग पर आने वाली टिप्पणियों का जवाब मै दूंगी कोई और नहीं हा किसी के बात पर एक टिप्पणी या कुछ शब्द कहना तो ठीक है पर किसी दुसरे के ब्लॉग पर खुदी जवाब देते जाना बहस करना मुझे निजी रूप से सही नहीं लगता है क्योकि इस स्थिति में कोई अपमान जनक टिप्पणी पर ब्लॉग स्वामी साफ ये कह का निकल जाता है की ये मैंने तो नहीं कहा है | ब्लॉग , ब्लॉग मालिक और टिप्पणी कर्ता के विचारो के आदान प्रदान के लिए होते है ना की ऐसा आखाडा जहा दो चार लोगो को भिड़ा दिया और खुद चुपचाप बैठ देखते रहे | इस टिप्पणी का जवाब भी केवल आप से ही जानना चाहूंगी किसी और से नहीं यदि जवाब नहीं दे सकते तो मेरी टिप्पणी को हटा दे | मै अब भी पहले की तरह ही आप को पढ़ती रहूंगी और टिप्पणी भी देती रहूंगी |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2419007131331261482.post-50401331005293082832011-06-07T16:07:50.388+05:302011-06-07T16:07:50.388+05:30कई बार लोग जाने अनजाने में लोगो से सहमत हो जाते है...कई बार लोग जाने अनजाने में लोगो से सहमत हो जाते है तो कई बार किसी विवाद से बचने के लिए सहमती जता देते है तो कई बार इस उम्मीद में भी की ये हमारे ब्लॉग पर भी सकारात्मक टिपण्णी दे जायेंगे तो कुछ ये जानते है की यदि आलोचना की तो ब्लोगर पचा नहीं पायेगा | जहा तक आप की और अपनी बात करू तो एक दो मुद्दों पर हमारे विचार अलग है और मैंने बिना किसी संकोच के उसे आप के ब्लॉग पर कहा है ( बेटी की बिदाई और पत्नी से प्रेम के मुद्दे पर तो दो बार आप से असहमति जता चुकी हूँ ) आप ने उसे सकरात्मक रूप में लिया और कोई कड़ी प्रतिक्रिया नहीं दी तो अन्य मुद्दों पर भी आप से असहमत होने पर मैंने उसे कहा है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2419007131331261482.post-48068489507282909362011-06-07T13:24:06.213+05:302011-06-07T13:24:06.213+05:30"एक से विचार रखने वाले लोगों के साथ रहने से व..."एक से विचार रखने वाले लोगों के साथ रहने से विचारों का अन्तःप्रजनन शुरू हो जाता है जो भविष्य के लिए खतरनाक हो सकता है."<br /><br />बहुत गम्भीर बात कह गये आप, यकीनन।<br /><br />---------<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">बाबूजी, न लो इतने मज़े... </a><br /><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">भ्रष्टाचार के इस सवाल की उपेक्षा क्यों?</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2419007131331261482.post-66356730271664270322011-06-06T13:41:10.966+05:302011-06-06T13:41:10.966+05:30अन्तर्प्रजनन से आशय शायद पूर्वाग्रह युक्त स्थिरता ...अन्तर्प्रजनन से आशय शायद पूर्वाग्रह युक्त स्थिरता से है। विचार तो सहज सरिता समान प्रवाहमान और उनका परिमार्जन होते रहना चाहिए। अन्यथा तालाब के पड़े जल के समान सड़ने लगते है।<br />विचारों का कभी कभी अपनी 'जाति गौत्र'(आग्रहों) के बाहर प्रजनन होना आवश्यक है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2419007131331261482.post-54296997782469588962011-06-06T13:37:01.019+05:302011-06-06T13:37:01.019+05:30आदरणीय सतीश जी ने बात तो सही कही है , एक दिल की ब...आदरणीय सतीश जी ने बात तो सही कही है , एक दिल की बात बोलूं ......... व्यक्तिगत ब्लोग्स पर तो मुझे फिर भी आश्चर्य नहीं होता लेकिन दुःख तो तब होता है जब एक ग्रुप ब्लॉग होता है और वहां से तकनीकी और तार्किक रूप से मजबूत लगने वाले आलोचना / जिज्ञासा को दबा दिया जाता है ...... अब अपन ने भी कुछ कहना छोड़ दियाएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2419007131331261482.post-49611703848006599452011-06-06T12:56:18.200+05:302011-06-06T12:56:18.200+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2419007131331261482.post-22557660331080297732011-06-06T12:45:14.020+05:302011-06-06T12:45:14.020+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2419007131331261482.post-70980332194449123772011-06-06T09:04:23.702+05:302011-06-06T09:04:23.702+05:30@ "जाने क्यों लोग अपनी आलोचना को नकारात्मक रू...@ "जाने क्यों लोग अपनी आलोचना को नकारात्मक रूप से ग्रहण करते हैं."<br /><br />यह आवश्यक तो नहीं कि आलोचना / नकारात्मक भाव देते समय, आपका नजरिया इमानदार ही हो ! संभव है कि आपके विचार आपकी नकारात्मक सोंच से प्रभावित हों फिर आप अपना मूल्यांकन खुद क्यों कर रहे हैं ! समय और पाठकों को अपना मूल्यांकन क्यों न करने दें ! <br />लेखन सबके भेद खोलने में समर्थ होगा !<br /><br />@ "एक से विचार रखने वाले लोगों के साथ रहने से विचारों का अन्तःप्रजनन शुरू हो जाता है जो भविष्य के लिए खतरनाक हो सकता है."<br /><br />सहमत हूँ , मगर विरोध स्वस्थ और दुर्भावना रहित होना चाहिए अन्यथा अपने घर का विनाश इसी विरोधमात्र से हो जायेगा जिसे हम आवश्यक मानते हैं !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.com